आसक्ति …….
परिचय हुआ जब दर्पण से
तो चंचल दृग शरमाने लगे
अधरों पे कम्पन्न होने लगा
पलकों में बिंब मुस्काने लगे ll
काजल मण्डित रक्तिम लोचन
अनुराग निशा से बढ़ाने लगे
कच क्रीडा में लिप्त समीर से
मेघ अम्बर में शरमाने लगे ll
लज्ज़ायुक्त स्वर्णिम कपोल पे
फिर जलद नीर बरसाने लगे
कनक कामिनी की काया पे
मधुप आसक्ति दर्शाने लगे ll
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहिब , आदाब। ... सृजन के भावों को अपने मधुर शब्दों से उपकृत करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय हरी प्रकाश दूबे जी सृजन के भावों को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से शोभित करने का हार्दिक आभार।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन के भावों को सहमति देती आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार ।
आदरणीय मोहित मिश्रा जी सृजन की मुक्त कंठ से प्रशंसा का दिल से आभार।
सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना सर ! सादर
बढ़िया रचना हुई है आदरणीय सुशिल सरना जी | हार्दिक बधाई |
आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।
खूब सुन्दर रचना
आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब, सृजन को अपने आत्मीय स्नेह से प्रशंसित करने का हार्दिक आभार। इंगित त्रुटि के बारे में आप बिलकुल सही हैं , मैं इसे अभी एडिट किये देता हूँ। आपकी इस आत्मीयता के लिए हार्दिक आभार।
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