एक भारत श्रेष्ठ भारत आइये मिलकर बनाएं
देश का सम्मान गौरव लक्ष्य हासिल कर बढ़ाएं
शांति के हम पथ प्रदर्शक ध्वज अहिंसा ले चलेंगे
विश्व गुरु बन कर पुन: संस्थापना सच की करेंगे
दें नहीं उपदेश अपने आचरण से कर दिखाएं
धर्म पूजा, जाति भाषा, वेश भूषा, बोलियाँ सब
एकता के सूत्र में बंध कर चली है टोलियाँ सब
संगठन में शक्ति है, ऐसी लिखें फिर से कथाएं
रेल का हमको दिखाई दे रहा है पथ समांतर
मूल में इसके छिपा है साथ चलना बस निरंतर
रेल गाड़ी की तरह सहकार का संदेश गाएं
प्यार से जो भी मिले तो हर कली दिल की खिलेगी
किन्तु आतंकी अधर्मी की चुनौती जब मिलेगी
स्वाभिमानी भारतीयों की तरह हम पेश आएं
शौर्य गाथा चंद्र के अभियान की चहुँ ओर है
अग्नि का, ब्रह्मोस का अब शत्रु दल में शोर है
अब समर्थन दे रही संयुक्त राष्ट्रों की सभाएं
देश है कश्मीर से कन्या कुमारी तक सलामत
एक इसकी रूह है कानून करता है हिफाजत
क्यूँ मतांतर की बिना पर हों विभाजित टूट जाएं
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
Ravi Shukla जी,
देशभक्ति के जज्बे से ओतप्रोत शानदार गीत के लिए बधाई स्वीकार करें | यूँ तो पूरा गीत ही भावों और सधे शिल्प का संगम है पर रेल सेवा में कार्य करने और अभी भी ट्रेड यूनियन गतिविधियों में सक्रिय रहने के कारण मुझे ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आईं :
" रेल का हमको दिखाई दे रहा है पथ समांतर
मूल में इसके छिपा है साथ चलना बस निरंतर
रेल गाड़ी की तरह सहकार का संदेश गाएं"
बस एक ही सुझाव है कि जहाँ-जहाँ "एं" लिखा है वहाँ "एँ" कर लें तो सुंदरता और बढ़ जाएगी |
हमारे गीत का मान देने के लिये आपका बहुत बहुत आभार आदरणी बसंत कुमार जी
मुग्ध हूँ पढ़कर, देशभक्ति और उर्जा से भरपूर लाजबाब गीत के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय रवि शुक्ला जी
जी सही कह रहे है आप आदरणीय समर साहब हैं में अनुस्वार नहीं लगाना टंकण त्रुटि हो गई है इसको और भी टिप्पणिया आने के बाद एक साथ संशोधन करते है । सादर
आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब गीत पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर प्रसन्नता हुई गीतकार के रूप में हम मानते है कि गीतों में सामाजिक सरोकार भी होना चाहिये । केवल मनोरंजन साहित्य का उद्देश्य नहीं हो सकता । आपको गीत पंसद आया हार्दिक आभार स्वीकार करें ।
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