For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - आदमी वो सरफिरा, लगता तो है ( गिरिराज भंडारी )

2122   2122  212  

दूध में खट्टा गिरा लगता तो है

काम साज़िश से हुआ,लगता तो है

 

था हमेशा दर्द जीवन में, मगर  

दे कोई अपना, बुरा, लगता तो है

 

बज़्म में सबको ही खुश करने की ज़िद

आदमी वो सरफिरा, लगता तो है

 

सच न हो, पर गुफ़्तगू हो बन्द जब,

बढ़ गया कुछ फासिला, लगता तो है 

 

गर मुख़ालिफ हो कोई जुम्ला, मेरे

दोस्त अब दुश्मन हुआ, लगता तो है

 

ज़िन्दगी की फ़िक्र जो करता न था

मौत से वह भी डरा लगता तो है

 

खलबली जो है अंधेरों में अभी

सूर्य का रस्ता खुला, लगता तो है

******************************* 
मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 978

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 10, 2017 at 10:18pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय..चर्चा भी सार्थक रही..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 9:06am

आदरनीय नीरज भाई , आपकी बातों मे दम है .. लेकिन ये बहस चूँकि खुद मेरे शे र पर है , मै स्वीकार नही कर पाऊँगा , मै तो नियम के लिये अपना शेर क्या गज़ल भी खारिज कर देता हूँ , अगर मंच न स्वीकार करे तो । इस मंच मे अभी तक कुछ अज़ीम शायरों द्वारा ली गयीं छूटें ही स्वीकार होते देखा हूँ , साजिशन की शुरुवात मै करूँ ये सही नही होगा । आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 9:00am

आ. राजेश जी , आपने सही फरमाया , 'काम साज़िश से हुआ,लगता तो है'  ये ठीक लग रहा है ... आभार आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2017 at 8:59am

आदरणीय समर भाई , शुक्रिया आपका , 'काम साज़िश से हुआ,लगता तो है'  इस पर सोच रहा हूँ , फिर सुधार लूंगा ।

Comment by Niraj Kumar on August 9, 2017 at 8:28pm

आदरणीय गिरिराज जी,

साजिशन की भले शब्दकोश में इंट्री न हो यह आज जीवित भाषा का अभिन्न अंग है. और बेहतर कवि का उपजीव्य जीवित भाषा और उसकी अपनी सर्जनात्मक प्रतिभा होती है.  'साजिशन ऐसा हुआ, लगता तो है' से प्रभावी मिसारा मिलना मुश्किल है. क्योंकि यह जीवित भाषा का एक स्वभाविक वाक्य है.

सादर   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 9, 2017 at 12:11pm

'काम साज़िश से हुआ,लगता तो है'----बहुत बेहतर सुझाया समर भाई जी आपने ...वाह 

Comment by Samar kabeer on August 9, 2017 at 11:11am
'ये तो साज़िश से हुआ,लगता तो है'
'काम साज़िश से हुआ,लगता तो है'
ये दो मिसरे देखिये,कैसे लगते हैं ?

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2017 at 7:38am

आदरनीय नरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2017 at 7:37am

आदरनीय नीरज भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

आदरनीय , मै भी तो यही सोच के साजिशन शब्द लिया था कि ये सही है ... लेकिन ये बात भी सच है कि शब्दकोश मे ऐसा कोई शब्द नही हैं .. और मै ये मानता हूँ हम सीखने वालों को स्वयं कोई शब्द रचना नही करनी चाहिये , हाँ कोई अजीम शायर कुछ प्रयोग कर गये हैं उनका अनुसरण कर लेना और बात है ।
इसीलिये मैने आ. समर भाई जी की सलाह  को उचित समझता हूँ , हाँ ये बात ज़रूर है कि मिसरे मे परिवर्तन से वो बात नही आ पा रही है , जो आना चाहिये । लेकिन मज़बूरी है ।
आपका हार्दिक आभार !!

Comment by narendrasinh chauhan on August 8, 2017 at 8:33pm

आदरणीय

खूब सुन्दर रचना 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,होठों को शहद, रस, जाम आदि तो कई बार देखा सुना था लेकिन पहली बार होंठ पे गमले देखने का…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आभार आ. शिज्जू भाई..मंच पर इसी तरह की चर्चा ही उर्जा भर्ती है आभार "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,आपने मुझे मज़ाक मज़ाक में अब्दुल रज़ाक कर दिया 🤣😂🤣😂🤣😂"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"बहुत खूब, आदरणीय दिनेश कुमार जी. वाह वाह  इस अच्छे प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
Sushil is now a member of Open Books Online
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service