For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-गलतियाँ किससे नही होतीं-रामबली गुप्ता

ग़ज़ल
2122 2122 2122 212

गलतियाँ किससे नही होतीं भला संसार में
है मगर शुभ आचरण निज भूल के स्वीकार में

शून्य में सामान्यतः तो कुछ नही का बोध पर
है यहाँ क्या शेष छूटा शून्य के विस्तार में

आधुनिकता के दुशासन ने किया ऐसे हरण
द्रौपदी निर्वस्त्र है खुद कलियुगी अवतार में

सूर्य को स्वीकार गर होता न जलना साथियों
तो भला क्या वो कभी करता प्रभा संसार में

व्यर्थ ही व्याख्यान आदर्शों पे देने से भला
अनुसरण कुछ कीजिये इनका निजी व्यवहार में

लालसा दिल में यही मिल जाय वो मीठा शहद
जो मिला था माँ की लोरी थपकियों और प्यार में

प्रेम पूजा प्रेम ईश्वर प्रेम के ही पंथ सब
प्रेम ही कुरआन गीता बाइबिल के सार में

श्रम दिलों को जीतने में चाहिए उतना बली
चाहिए जितना हमें निज अहं के संहार में

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 25, 2017 at 10:37pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय रामबली जी हार्दिक बधाई स्वीकारें | 

Comment by रामबली गुप्ता on September 25, 2017 at 9:51pm
धन्यवाद भाई महेंद्र कुमार जी
Comment by रामबली गुप्ता on September 25, 2017 at 9:50pm
हृदय से आभार भाई राम अवध विश्वकर्मा जी
Comment by रामबली गुप्ता on September 25, 2017 at 9:48pm
धन्यवाद भाई मुहम्मद आरिफ़ जी
Comment by रामबली गुप्ता on September 25, 2017 at 9:47pm
आदरणीय समर भाई साहब सराहना एवं प्रोत्साहन के लिये हार्दिक आभार
Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 8:21pm

आ. रामबली जी, उम्दा ग़ज़ल कही है आपने.

यह शेर विशेष रूप से पसन्द आया :

प्रेम पूजा, प्रेम ईश्वर, प्रेम के ही पंथ सब,

प्रेम ही कुरआन गीता बाइबिल के सार में।

क्षमा चाहूँगा पर यह शेर मुझे पसन्द नहीं आया. हालाँकि अपनी-अपनी सोच है.

आधुनिकता के दुशासन ने किया ऐसे हरण,

द्रौपदी निर्वस्त्र है खुद कलियुगी अवतार में।

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 25, 2017 at 3:40pm
आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये मुबारकबाद कबूल कीजिये
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 1:13pm
आदरणीय रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत ही सकारात्मक और सीख देने वाली ग़ज़ल । हर शे'र उम्दा है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 10:37am
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service