For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल --- ख़ुदकुशी बार बार कौन करे // दिनेश कुमार

2122---1212---112/22
.
ख़ुदकुशी बार बार कौन करे
आप का इन्तिज़ार कौन करे
.
आइना टूटने से डरता है
झूट को शर्मसार कौन करे
.
अपना मतलब निकालते हैं सब
बे-ग़रज़ हमसे प्यार कौन करे
.
नाव टूटी है हौसला ग़ायब
ग़म के दरिया को पार कौन करे
.
हम हक़ीक़त से मुँह चुराते हैं
ख़्वाब को तार तार कौन करे
.
उस्तरा बन्दरों के हाथ में है
इन को सर पर सवार कौन करे
.
( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 3:59pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है अपने आदरणीय बधाई स्वीकारें |

Comment by Niraj Kumar on October 10, 2017 at 9:11pm

आदरणीय दिनेश जी 

बेहतरीन! क्या क्या शेर निकाले है. जितनी दाद दी जाय उतनी कम है.

आइना टूटने से डरता है
झूट को शर्मसार कौन करे

ये शेर ख़ास तौर से पसंद आया. 

आखिरी शेर भी लाजबाब है.

सादर 

Comment by Samar kabeer on October 10, 2017 at 8:48pm
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by राज़ नवादवी on October 10, 2017 at 1:27pm

आदरणीय दिनेश जी, सुन्दर रचना की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें! सादर 

Comment by Afroz 'sahr' on October 10, 2017 at 1:20pm
आदरणीय दिनेश जी बहुत अच्छे अश्आर से नवाज़ा आपने मेंरी और से बहुत बधाई आपको सादर,,,,,,
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 10, 2017 at 12:48pm
वाह वाह आदरणीय दिनेश जी खूब ग़ज़ल कही..सादर
Comment by Ajay Tiwari on October 10, 2017 at 12:09pm

बहुत खूब, आदरणीय दिनेश जी,

शुभकामनाएं 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 10, 2017 at 9:07am

वाह वा. आ, दिनेश जी..बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने 
उस्तरा बन्दरों के हाथ में है....सत्य वचन 
बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service