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बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई आद० दिनेश जी ,ग़ज़ल पर चर्चा भी पढ़ी आद० समर भाई जी और सौरभ जी दोनों अपनी अपनी जगह सही हैं आप अपने स्वास्थय का ध्यान रखें | ओबीओ पर आते रहें
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय दिनेश जी बधाई स्वीकारें |
आ. दिनेश जी, बहुत ही अच्छी ग़ज़ल कही है आपने. सभी शेर उम्दा हैं. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
//मुहावरा 'आँख मिलाने' का है,'नज़र चुराई जाती है //
आँख और नज़र के मिलाने की इस बारीक़ी को हिन्दी, और कई मायनों में उर्दू भी, बहुत अधिक डिस्टिंक्ट करती हुई नहीं चलती. सो ये मिसरा एक दृष्टि से ठीक है
और, ज़िया फ़तेहाबादी ने तो अपने मतले में आपके कहे को ही बदल कर रख दिया है -
नज़र नज़र से मिलाना कोई मज़ाक़ नहीं
मिला के आँख चुराना कोई मज़ाक़ नहीं .. (ज़िया फ़तेहाबादी)
दूसरे, कस्तूरी मिल जाएगी और कस्तूरी मिल सकती है में भाव के परिप्रेक्ष्य में बहुत अंतर नहीं है, आदरणीय.
कोई ढूँढे तो मिल जाएगी (अर्थात, वो वहीं पड़ी हुई है, मात्र एकाग्र हो कर ढूँढने की आवश्यकता है), और
कोई ढूँढे तो मिल सकती है (अर्थात, ढूँढने के क्रम में किसी ने ठीक से ध्यान नहीं दिया है) ..
भाव निवेदन के प्रस्तुतीकरण के हिसाब से मुझे बहुत अंतर नहीं दिखता. क्योंकि प्रस्तुतीकरण एक सीमा के बाद अपनी-अपनी शैली को प्रभावित करने लगता है.
वैसे आपकी बातों को भी हृदयंगम कर रहा हूँ.
सादर
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
कुछ बातें जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब साझा कर चुके,कुछ बारीक बातों की तरफ़ में तवज्जो दिलाना चाहूँगा ।
'ख़ुद से नज़र मिलाए कौन'
मुहावरा 'आँख मिलाने' का है,'नज़र चुराई जाती है,ग़ौर कीजियेगा ।
'कस्तूरी मिल जाएगी
ख़ुद में गहरे जाए कौन'
सानी मिसरे का भाव ये है कि कोई ख़ुद में गहराई तक जाने को तैयार नहीं है,और ऊला का भाव ये है कि कोई ढूंढ रहा है उससे कहा जा रहा है कि 'मिल जाएगी'ये दो अलग अलग बातें हुईं,सानी के लिहाज़ से ऊला यूँ होना चाहिए :-
'कस्तूरी मिल सकती है
ख़ुद में गहरे जाए कौन'
ग़ौर कीजियेगा ।
मैं जनाब सौरभ साहिब से सहमत हूँ,आपको अपना ज़ियादा से ज़ियादा समय ओबीओ पर बिताना चाहिए,आपकी इंकिसारी को हम तस्लीम नहीं करेंगे,आप में वो सब कुछ है जो एक कुशल रचनाकार में होना चाहिए,ये आपकी टिप्पणियां बताती हैं,आपकी ग़ज़लें बताती हैं,शुभकामनाएं ।
जी. सही कहा आपने. लेकिन ओबीओ के इस आत्मीय माहौल में ऐसे किसी संकोच से निजात पायी जा सकती है. पायी जानी चाहिए. आप तो इस परिवार के पुराने सदस्य और अब अहम हिस्सा हैं.
शुभेच्छाएँ
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