For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे, इसे रोको तो ज़रा! कौन है यह? इस तरह कहां और क्यों दौड़ा चला जा रहा है ? कहीं यह वही 'विकास' तो नहीं?"
"नहीं!"
"तो क्या यह भी कोई 'राम' नामधारी है?"
"नहीं!"
"तो फिर कौन है यह? किसी 'राधा' का मीत?"
"नहीं, वह भी नहीं!"
"तो क्या 'गंगा' का सेवक?"
"नहीं भाई!"
"तो क्या तथाकथित 'सेवक'; जेहादी, हिन्दुत्व-प्रचारक, इस्लाम या ईसाइयत-प्रचारक?"
"नहीं, हरग़िज़ नहीं!"
"तो फिर कोई भ्रष्टाचारी, आतंकी या सब कुछ जीतने का इच्छुक कोई नया 'हिटलर'?"
"वैसा भी कोई नहीं!"
"तो फिर कौन है यह अपना साजो-सामान सा लिए हुए? कोई सताया, भगाया गया 'शरणार्थी'?"
"हां, इसे ख़ुद से और अपनों से ही पीड़ित, अपनों के ही बीच का कोई शरणार्थी कह लो या शरणार्थियों जैसे हालात वाला कोई महत्वाकांक्षी शिक्षित 'बेरोज़गार'!"

इन लोगों की बातें सुनकर देश में चल रही हवा ने कहा - "दरअसल उड़ता सा यह इंसान उन सभी का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जिनके नाम तुमने अभी लिए; जो बावले हो गये हैं, बुद्धि भ्रष्ट कर चुके हैं!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2017 at 10:31pm
मेरी इस लघुकथा पर समय देकर समीक्षात्मक टिप्पणियों द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर जी, आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी, आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी और आदरणीया कल्पना भट्ट जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2017 at 10:24pm
रचना पर समय देकर समीक्षात्मक टिप्पणी और सुझाव के साथ हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब महेंद्र कुमार साहिब, आदरणीया राजेश कुमारी जी और जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। महत्त्वाकांक्षी शिक्षित शब्द मैंने इस्तेमाल किए थे क्योंकि ऐसे ही युवा विदेशों की ओर पलायन कर देश को नुकसान और विदेशों को अधिक लाभ पहुंचाते हैं। आम सामान्य या पिछड़े वर्ग के बेरोज़गार रोज़गार के लिए भटकता है, तड़पता है, दौड़ नहीं पाता प्रलोभनों के पीछे। यह भाव देने के लिए उस पंक्ति में क्या परिवर्तन करना चाहिए, मार्गदर्शन निवेदित।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 23, 2017 at 7:42pm

बहुत बढिया तीक्ष्ण कटाक्ष करती हुई लघु कथा मैं भी आद० महेंद्र कुमार जी की बात से सहमत हूँ महत्वाकांक्षी शब्द के स्थान पर कोई दूसरा शब्द उपयुक्त होगा | बहुत बहुत बधाई इस सुंदर लघु कथा पर |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 22, 2017 at 9:08pm

तीक्ष्ण कटाक्ष तो है ही। ..आज की तस्वीर कुछ कुछ ऐसी ही बन रही है. 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 22, 2017 at 8:47pm

बढ़िया कथा | शिक्षित बेरोजगार शिक्षक कहीं तो कहीं ऐसे भी शिक्षक भी हैं जिनको बेसिक नॉलेज भी नहीं पर वे पढ़ा रहे हैं | बधाई इस कथा के लिए \

Comment by Mahendra Kumar on October 22, 2017 at 9:44am

आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, उम्दा व्यंग्यात्मक लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए.

//"हां, इसे ख़ुद से और अपनों से ही पीड़ित, अपनों के ही बीच का कोई शरणार्थी कह लो या शरणार्थियों जैसे हालात वाला कोई महत्वाकांक्षी शिक्षित 'बेरोज़गार'!"// यदि इस संवाद से "महत्वाकांक्षी शिक्षित" को निकाल दिया जाए अथवा इनकी जगह किसी अन्य शब्द (या शब्द समूह) को रख दिया जाए तो मुझे लगता है कि 'बेरोज़गार' के साथ-साथ आपके इस संवाद का फ़लक भी बढ़ जाएगा. देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 21, 2017 at 2:10am
कथा में दम है और दमदार सन्देश भी है। पर कितने ध्यान देते हैं , प्रश्न यह है। प्रयास कठिन था , इस लिए बहुत सराहनीय है। आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , बधाई , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 6:30pm
आदरणीय आपकी हर लघु कथा मैं पढता हूँ मैं शिल्प का बिशेस जानकार नहीं हूँ लेकिन यह रचना तो मेरे दिमाग में घूम रही है।बहुत ही ज्यादा पसंद आयी रचना पर हार्दिक बधाई सादर
Comment by Mohammed Arif on October 20, 2017 at 6:03pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, बहुत ही तीक्ष्ण कटाक्ष । बेहतरीन संवाद और पात्रानुकूल संवाद ।आज की सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी है । नौजवानों को आज कोई समझने के लिए तैयार नहीं है ।डिग्रीधारी बनकर दर-दर की ठोकरे खाने पर विवश है । अच्छा ध्यानाकर्षण है । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service