For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"एक क़तरा था समंदर हो गया हूँ"

2122 2122 2122

एक क़तरा था समंदर हो गया हूँ।
मैं समय के साथ बेहतर हो गया हूँ।।

कल तलक अपना समझते थे मुझे जो।
उनकी ख़ातिर आज नश्तर हो गया हूँ।।

मैं बयां करता नहीं हूँ दर्द अपना।
सब समझते हैं कि पत्थर हो गया हूँ।।

ज़िन्दगी में हादसे ऐसे हुए कुछ।
मैं जरा सा तल्ख़ तेवर हो गया हूँ।।

जख़्म दिल के तो नहीं अब तक भरे हैं।
हां मगर पहले से बेहतर हो गया हूँ।।


सुरेन्द्र इंसान

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1049

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 30, 2018 at 12:15pm

आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी..बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है..सादर

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:18pm

    बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय  नीलेश भाई जी। बहुत बहुत आभार जी।

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:17pm

   बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय  नीरज भाई जी । बहुत बहुत आभार जी।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 20, 2018 at 8:22am

आ. सुरिंदर इंसान जी,
बहुत खूब ग़ज़ल हुई है 
बधाई 

Comment by Neeraj Nishchal on February 13, 2018 at 9:50am

क्या बात है बेहद लाजवाब ग़ज़ल के लिए  बहुत बहुत मुबारकबाद

Comment by surender insan on January 12, 2018 at 2:09pm

    बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय बलराम  जी । बहुत बहुत आभार जी।

Comment by surender insan on January 12, 2018 at 2:02pm

 बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय आमोद जी । बहुत बहुत आभार जी।

Comment by Balram Dhakar on December 25, 2017 at 11:11am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल। मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं, आदरणीय सुरेंद्र जी।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on December 21, 2017 at 6:54pm

WAHHH  

Comment by surender insan on December 18, 2017 at 9:06am

  बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी । बहुत बहुत आभार जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service