2122 2122 2122
एक क़तरा था समंदर हो गया हूँ।
मैं समय के साथ बेहतर हो गया हूँ।।
कल तलक अपना समझते थे मुझे जो।
उनकी ख़ातिर आज नश्तर हो गया हूँ।।
मैं बयां करता नहीं हूँ दर्द अपना।
सब समझते हैं कि पत्थर हो गया हूँ।।
ज़िन्दगी में हादसे ऐसे हुए कुछ।
मैं जरा सा तल्ख़ तेवर हो गया हूँ।।
जख़्म दिल के तो नहीं अब तक भरे हैं।
हां मगर पहले से बेहतर हो गया हूँ।।
सुरेन्द्र इंसान
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी..बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है..सादर
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय नीलेश भाई जी। बहुत बहुत आभार जी।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय नीरज भाई जी । बहुत बहुत आभार जी।
आ. सुरिंदर इंसान जी,
बहुत खूब ग़ज़ल हुई है
बधाई
क्या बात है बेहद लाजवाब ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय बलराम जी । बहुत बहुत आभार जी।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय आमोद जी । बहुत बहुत आभार जी।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल। मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं, आदरणीय सुरेंद्र जी।
WAHHH
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी । बहुत बहुत आभार जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online