For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ के हाथों से जब खाया जाता है (ग़ज़ल)

अरकान-फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फ़ा

ऐसे रिश्ता यार निभाया जाता है
वक़्त पड़े तो ग़म भी खाया जाता है ।।

भूख लगी हो और न हो कुछ खाने को
बच्चे का फिर दिल बहलाया जाता है।।

लाख छुपाने से भी जब ये छुप न सके
फिर क्यों यारो इश्क़ छुपाया जाता है।।

तब होती है घर में बरकत ही बरकत
मुफ़लिस को महमान बनाया जाता है ।।

रुखा सूखा खाना लज़्ज़त दार लगे
माँ के हाथों से जब खाया जाता है ।।

चुंगल में सेठों के जो इक बार फँसे
सदियों तक फिर कर्ज चुकाया जाता है ।।

फूलों की ख़ुशबू का कोई जुर्म नहीं
भवरों पर इल्ज़ाम लगाया जाता है ।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on January 12, 2018 at 2:49pm

वाह वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करे भाई सुरेन्द्र जी।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 12, 2018 at 9:45am

आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 11, 2018 at 12:02pm

आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 10, 2018 at 10:05pm

वाह आदरणीय क्या शानदार ग़ज़ल कही..सादर

Comment by Samar kabeer on January 9, 2018 at 11:12pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबफ पेश करता हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 9, 2018 at 9:27pm

वाह्ह्ह बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है भैया शेर दर शेर दाद स्वीकारें 

होती है घर में बरकत ही बरकत जब 

मुफ़लिस को महमान बनाया जाता है ।।--ऐसा करने से मफ्हूम ज्यादा साफ़ होगा 

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2018 at 11:06am

आद0 मोहित मुक्त जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2018 at 11:05am

आद0 श्याम नारायण वर्मा जी सादर धन्यवाद

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2018 at 11:04am

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। सादर

Comment by Shyam Narain Verma on January 8, 2018 at 9:46pm
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service