For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुड़ खाये गुलगुले से परहेज

पहली जनवरी की सुबह कुहरे की चादर लपेटे, रोज से कुछ अलग थी। सामने कुछ भी दिखाई नही दे रहा था। चाहे मौसम अनुकूल हो या प्रतिकूल, गौरव की दिनचर्या की शुरूआत मॉर्निंग वॉक से ही होती है, सो आज भी निकल गया हाथ मे एक टार्च लिए।

गली के चौराहे पर रोज की तरह शर्मा जी मिल गए। गौरव ने उनको हैप्पी न्यू ईयर बोला। पर शर्मा जी शुभकामना देने के बजाय भड़कते हुए बोले-

"अरे गौरव भाई! कौन से नव वर्ष की बधाई दे रहे हैं आप? आज आपको कुछ भी नया लग रहा है। क्या?"

क्यों? आपके हिसाब से आज नया साल नहीं है क्या?" गौरव ने तपाक से प्रश्न दग़ा।

शर्मा जी गर्दन हिलाते हुए बोले- "एक दम नहीं। जब ब्रह्मांड से लेकर सूर्य और चाँद की दिशा, नक्षत्र, मौसम, किसान की नई फसल, पौधों की नई पत्तियाँ, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि सब कुछ बदले, तब नव वर्ष आता है। आज क्या बदला? जैसे कल वैसे आज।"

गौरव शर्मा जी के मिजाज को भाप गया। थोड़ा चिढ़ाने के अंदाज में बोला- "शर्मा जी आप के घर मे जो कैलेंडर टगा है उसकी आखिरी तारीख 31 दिसंबर ही है या कुछ और?"

"अरे वो तो अंग्रेजी कैलेंडर है, वो हमारा कैलेंडर थोड़े ही है। हमारा नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है जो पूर्णतया प्रकृति और विज्ञान सम्मत है। जो लोग आज हैप्पी हैप्पी चिल्ला रहे है वे सब गुलाम मानसिकता को बढ़ावा दे रहे है।"

"अच्छा शर्मा जी ई सब छोड़िए, एक बात बताईये, आप का जन्म दिन कब पड़ता है?"

"21 अक्टूबर को। पर इससे क्या मतलब?"

"बस ऐसे ही! और आपकी शादी की सालगिरह ?।"

"23 नवम्बर को। ये तारीख भी भूल सकता हूँ क्या?"

"आखिरी प्रश्न! आपके बच्चे कहाँ पढ़ते हैं?"

"आप के बच्चों के साथ ही तो पढ़ते है, मेरे कहने पर ही आपने इंग्लिश स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराया था। पर आप ई सब पूंछ क्यों रहे हैं?"

"शर्मा जी आप अपनी जन्म और शादी का दिन अपने संवत के हिसाब से भी बता सकते थे,पर आपने उसी कैलेंडर का सहारा लिया, जो आपके हिसाब से अवैज्ञानिक है। आपका लड़का इंग्लिश मीडियम में पढ़ता है, पर वह आपकी गुलाम मानसिकता नहीं हुई।'

"अरे भाई जो व्यवहार में हो, उसी में बताया जाता है। अब हम संवत के हिसाब से बताते तो क्या आप समझ पाते? और रही बच्चों को इग्लिश मीडियम में पढ़ाने की, तो समय के हिसाब से चलना पड़ता है"

"मतलब आपको न अंग्रेजी कैलेन्डर के प्रयोग से एतराज है औऱ न अंग्रेजी से, ऐतराज है तो बस हैप्पी न्यू ईयर कहने वालों और आज के दिन नव वर्ष मनाने वालों से। खैर! आप खुद मनन कीजिये। मैं तो ठहरा अल्पज्ञ, सो चला मॉर्निंग वॉक पर"

गौरव हैप्पी हैप्पी न्यू ईयर गुनगुनाता धुप्प कोहरे में आगे बढ़ गया।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1342

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 8, 2018 at 1:22pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बधाई के लिए शुक्रिया

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 8, 2018 at 12:34pm

एक अच्छी कथा के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2018 at 11:55am

आद0 आली जनाब समर साहब सादर अभिवादन। आपकी लघुकथा पर उपस्थिति का इंतिजार था मुझे, आप आये, लघुकथा पसन्द आयी। लिखना सार्थक हुआ। बहुत बहुत आभार आपका।

Comment by Samar kabeer on January 6, 2018 at 5:24pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, बहुत अच्छा विषय चुना आपने और इस विषय पर बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,आप अपनी बात कहने में पूरी तरह कामयाब रहे,मुझे ये प्रस्तुति बहुत पसंद आई,इसके लिए दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2018 at 1:33pm

आद0 अजय तिवारी जी सादर अभिवादन। लघुकथा पर विस्तृत टिप्पणी से आप ने हमे अनुगृहीत किया। बेहतरीन प्रतिक्रिया और बधाई के लिए हृदय तल से आभार। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2018 at 1:32pm

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। बधाई और प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार

Comment by Ajay Tiwari on January 6, 2018 at 9:56am

आदरणीय सुरेन्द्र जी, 

जैसा कि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने निबंध 'अशोक के फूल' में लिखा है 'रक्त की शुद्धता बात की बात है' वैसे ही संस्कृति की शुद्धता भी बात की ही बात है. संस्कृतियों का आदान प्रदान सदियों से होता रहा है और यह अब भी जारी है. शक संवत को आज राष्ट्रीय पंचांग का दर्जा प्राप्त है लेकिन शक भी कभी हमारे देश में बाहर से आये थे. वैदिक काल में वर्ष का आरम्भ शरद में होता था. और अपने ही देश में अलग-अलग राज्यों में कई दूसरे पंचांग प्रचलित हैं और नया साल भी अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है. 

शुद्धतावाद अन्य क्षेत्रों की ही तरह संस्कृति में भी एक खतरनाक चीज है. नया साल अंग्रेजी पंचांग का हो या विक्रम संवत का खुशी का जो भी मौका हो आदमी का खुश होना चाहिए. साल का हर दिन ही नया साल हो तो क्या बुराई है! 

एक संवेदनशील विषय को खूबसूरती से प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!

सादर   

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2018 at 1:35pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप। बेहतरीन कटाक्ष।

Comment by नाथ सोनांचली on January 5, 2018 at 12:27pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और बधाई के लिए हृदय तल से आभार।  आपका सुझाव उत्तम है

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 5, 2018 at 12:19pm

आदाब। बेहतरीन सारगर्भित शीर्षक के साथ बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी।. रचना यहां से भी शुरू की जा सकती है मेरे विचार से-// अरे गौरव भाई! कौन से नव वर्ष की //.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
19 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service