For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साजन मेरे मुझे बताओ, कैसे दीप जलाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

इंतिजार में तेरे साजन, लगा एक युग बीता

हाल हमारा वैसा समझो, जैसे विरहन सीता

सूनी सेज चिढ़ाए मुझको, अखियन अश्रु बहाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

वे सुवासित मिलन की घड़ियाँ, लगता साजन भूले

बौर धरे हैं अमवा महुआ, सरसो भी सब फूले

सौतन सी कोयलिया कूके, किसको यह बतलाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

तपती धरती सूखी नदियाँ, बदरा बस ललचाये

छाँव मिले ना मेरे दिल को, दुख बढ़ता ही जाए

जेठ दुपहरी बदन जलाये, इसको बुझा न पाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

सावन की घनघोर घटाएँ, करें रात  अँधियारी

नाचे मोर पपीहा जब जब, आये याद तुम्हारी

चमक उठे चपला जब नभ में, मैं विरहन डर जाऊँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

पाती भेजूँ कितनी तुमको, गयी कसम से हारी

भूल गए क्यों मुझको तुम हे, मेरे कृष्ण मुरारी

पिया मिलन की आस लिए मैं, गीत विरह के गाउँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 5, 2018 at 2:39pm

अति सुन्दर भाव। बधाई।

Comment by Samar kabeer on February 4, 2018 at 9:05pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,गीत का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

गीत की पहली पंक्ति में सखी से सम्बोधन है और बाद की पंक्तियों में साजन से,इसलिये पहली पंक्ति को यूँ कर सकते हैं :-

'साजन मेरे मुझे बताओ, कैसे दीप जलाऊँ'

5वीं पंक्ति में 'अखियन अश्रु बहाऊँ'की जगह "सोचूँ अश्रु बहाऊँ"करना उचित होगा ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 4, 2018 at 10:41am

आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई के लिए हृदय तल से आभार

Comment by नाथ सोनांचली on February 4, 2018 at 10:40am

आद0 रक्षिता जी सादर अभिवादन। रचना आपकी प्रशंसा से अभिभूत हुई। आपका हृदय तल से आभार

Comment by TEJ VEER SINGH on February 4, 2018 at 10:25am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।बेहतरीन विरह गीत।

Comment by रक्षिता सिंह on February 4, 2018 at 7:49am

आदरणीय सुरेन्द्र जी,

भाव विभोर कर देने वाली इस सुन्दर रचना के लिए,  हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 7:35pm
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। आपको गीत पसन्द आया, लिखना सार्थक हुआ। अतिशय आभार आपका।
Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 6:03pm

पाती भेजूँ कितनी तुमको, गयी कसम से हारी

भूल गए क्यों मुझको तुम हे, मेरे कृष्ण मुरारी

पिया मिलन की आस लिए मैं, गीत विरह के गाउँ

घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ

वाह अति सुंदर विरह रस में डूबा गीत। .. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय।

Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 1:13pm
आद0 तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन। बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन और प्रतिक्रिया के लिए। सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 12:06pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,बहुत ही सुन्दर विरह गीत हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service