For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल इस्लाह के लिए :मनोज अहसास

221 2121 1221 212
हमनें यूँ ज़िन्दगानी का नक्शा बदल लिया
देखा तुझे जो दूर से रस्ता बदल लिया

तुमने भी अपने आप को कितना बदल लिया
नज़रों की ज़द में आते ही चहरा बदल लिया

जब इस सराय फानी का आया समझ में सच
हमनें भरी दुपहर में कमरा बदल लिया

दादी की जलती उंगलियों का दर्द अब नहीं
हामिद ने इक खिलौने से चिमटा बदल लिया

दीवानगी भी ,शाइरी भी,दिल भी, शहर भी
तुमको भुलाने के लिए क्या क्या बदल लिया

कांपी तमाम रात यूँ मुफ़लिस के जिस्म में
बेज़ार होके रूह ने चोला बदल लिया

'अहसास' उसने हमको भुलाया है इस तरह
मिट्टी के इक मकान में घर था,बदल लिया

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on February 5, 2018 at 7:07am

आदरणीय ब्रज जी

आदरणीय कुशक्षत्रप जी

आदरणीय इंसान जी

आदरणीय कबीर साहब

आदरणीय मुसफिर जी

हार्दिक आभार

ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2018 at 6:23pm

आ. भाई मनोज जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on February 3, 2018 at 7:09pm

जनाब मनोज कुमार 'अहसास' साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by surender insan on February 3, 2018 at 2:06pm

भाई मनोज जी आदाब। ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करे जी। 

मतले में जो की जगह तो करे तो कैसा रहेगा? गुणीजनों की राय लीजिये इस पर।

हमनें यूँ ज़िन्दगानी का नक्शा बदल लिया
देखा तुझे तो दूर से रस्ता बदल लिया

मक़्ता का सानी अभी मेहनत मांग रहा है।।

सादर ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 1:07pm

आद0 मनोज जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने

 शैर दर शैर मुबारक आपको। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 10:04pm

बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई आदरणीय मनोज जी..किस शेर की तारीफ करूँ..सभी एक से बढ़कर एक..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service