"वाह, नया घर तो बहुत अच्छा है! लेकिन ये खिड़कियां और दरवाज़े हमेशा बंद ही क्यों रखती हो?" दो साल बाद आये भाई ने अपनी बहिन से पूछा।
"तुम्हारे जीजाजी के कहे मुताबिक़ सब करना पड़ता है!" बहिन ने भाई को सुंदर बेडरूम दिखाते हुए कहा।
"बेडरूम में ये डंडा और रॉड क्यों है दरवाज़े के पीछे?" मुआयना करते हुए भाई ने हैरत से पूछा।
"तरह-तरह के लोग आते रहते हैं यहां, उनके अॉफिस के अलावा! मारपीट की गुंजाइश भी रहती है उनके वक़ालत के काम में न!" बहिन कुछ उदास हो कर बोली, "कुछ और भी रखना पड़ता है हमें अपनी हिफ़ाज़त के लिए!"
"अरे, घर में ड्राइंग-रूम में भी ये न्याय की देवी बिराजमान हैं!" बैठक में पहुंचते ही भाई ने आश्चर्य से कहा, "..और ये फ्रेम में जीजाजी के साथ किसकी तस्वीर है?"
"उनकी असिस्टेंट की है, अॉफिस में उन्हीं के साथ काम करती है!" यह बताते हए बहिन की आंखें कुछ गीली हो ही गईं।
न्याय की देवी की आधुनिक फैशनेबल मूर्ति पर और उस असिस्टेंट की फोटो देख कर भाई ने कहा- "तो ये है तुम्हारी सेहत का राज़!"
अब घर की क़ैदी बहिन सिसक रही थी।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
मेरी इस लघुकथा पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के साथ अपने विचार साझा करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब तेजवीर सिंह साहिब।
आ. भाई शेख सहजाद जी, अच्छी कथा हुई है , हार्दिक बधाई ।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,तएं लघुकथा भी अच्छी लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन लघुकथा।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी आदाब,
शादी शुदा मर्द जब लिव-इन-रिलेशन में रहे तो पत्नी का घुटघुटकर मरना वाजिब है । ऐसे ज़रूरी हो जाता है कि पत्नी इसका पुरज़ोर तरीक़े से प्रतिकार करें वरना वह अपनी गृहस्थी को उजड़ते देखने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती । सशक्त लघुकथा और पात्रानुकूल संवाद चयन भी । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
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