For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आमूल-चूल भूल (लघुकथा)

महाविद्यालयीन कक्षा में छात्रों के अनुरोध पर हिन्दी के शिक्षक उन्हें "भूल, ग़लती, और भूलना" शब्दों में अंतर समझाते हुए बोले - "भूतकाल में अज्ञानता वश किया गया कोई भी कार्य या क्रिया जिसके कारण वर्तमान या भविष्य में हानि उठानी पड़े 'भूल' कहलाती है! 'भूल' का हिन्दी में अर्थ होता है “गलती या दोष”; इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर “चूक” शब्द के साथ किया जाता है!" कुछ उदाहरणों सहित समझाने के बाद शिक्षक ने छात्रों से कुछ और उदाहरण प्रस्तुत करने को कहा। 'भूल' पर कुछ जवाब यूं भी रहे :


"जैसे अमर शहीद तात्यांटोपे की मौत के कारणों में हुई भूल!"


"जैसे स्वतंत्रता सेनानी महारानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के पहले की भूल!"


दो छात्रों के उपरोक्त उत्तरों के बाद अगले छात्र ने जवाब में कहा :


"जैसे कि विभाजन के बाद मिले भारत में हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और वेदों पर आधारित संविधान न बनाकर आजकल के नेताओं की तरह विदेशी चीजों के अध्ययन और नकल करके देश के संविधान निर्माण की भूल!"


इस पर एक और छात्र बोल पड़ा -"जम्मू-कश्मीर की बात भी तो कहो। राजा मानसिंह की भूल को वहां के लोग भोग रहे हैं या उस समय के बड़े नेताओं और भारत सरकार की!"


छात्रों के जवाबों में सवालों की बौछार थी। शिक्षक महोदय भौंचक्के रह गए।‌ कक्षा समाप्ति पर  दीवार पर टंगे भारत के मानचित्र की ओर देखते हुए वे छात्रों से बोले - "बेशक़! सच कहते हो तुम सभी। ऐसी बहुत सी भूलों वाले कड़वे सच ही हमारी वर्तमान समस्याओं के मूल हैं!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 23, 2018 at 6:50am

रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  साहिब।

Comment by नाथ सोनांचली on March 11, 2018 at 5:56am

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन। बेहद विचारोउत्तेजक और प्रभाव छोड़ती लघुकथा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 9, 2018 at 6:27pm

मेरी रचना के विषयांतर्गत बेहतरीन विवेचना और मार्गदर्शन के साथ मेरी इस लघुकथा के अनुमोदन के साथ मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब डॉ. विजय शंकर साहिब।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 9, 2018 at 6:25pm

मेरी इस नवीन लघुकथा पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब, जनाब तेजवीर सिंह साहिब और जनाब सोमेश कुमार साहिब।

Comment by somesh kumar on March 8, 2018 at 4:37pm

KYI GAMBHIR BHULON KO INGIT KRTI ACHCHI LGHUKTHA

Comment by TEJ VEER SINGH on March 8, 2018 at 11:54am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन लघुकथा।क्या गज़ब का विषय लिया है।

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 7, 2018 at 8:46pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब , जबरदस्त लघु - कथा के लिए बधाई। हो सकता है इसे अन्य प्रस्तुतियों की तरह ही पढ़ कर लोग विस्मृत कर दें पर आपने इसमें जो उठाया है वह कदापि विस्मृत नहीं किया जा सकता है। वास्तव में जन- प्रतिनिधि ( या शासक ) होना एक बहुत ही गंभीर दायित्व का काम है , हमारे यहां वह मात्र अवसर और सौभाज्ञ बन कर रह गया है.ऊपर से सम्मान और ज्ञान का प्रतीक और पूज्यनीय बन कर रह गया है।लोग जिसे भी चुनते हैं उसे आदर्श और आराध्य मान लेते हैं , वह चाहे कितनी ही “भूल ” करे और करता रहे। जबकि उसका काम पूर्ण विवेकशील होकर बहुत दूरदर्शी होकर , भविष्य की अनेक पीढ़ियों के लिए सोचते हुए कोई निर्णय लेना होता है। उसकी एक छोटी सी भूल कितनी पीढ़ियों के लिए सजा बन जाती है , आकलन करना भी कठिन हो जाता है। खेद का विषय है कि आज अधिकाँश फैसले तात्कालिक और क्षणिक होते हैं , जैसे किसी तरह समस्या को निपटा दिया गया हो। देश, समाज के लिए दूरदर्शिता कहीं दूर दूर तक देखने को नहीं मिलती है। हाँ , यदि कहीं मिलती है तो मात्र अपने परिवार और वंशजों के लिए अनगिनत पीढ़ियों तक की व्यवस्था कर देने मात्र की मिलती है। ( कृपया ऊपर की लाइन , अवसर और सौभाज्ञ , यहां एक बार फिर पढ़ें ) . सादर।

Comment by Samar kabeer on March 7, 2018 at 2:36pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
11 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service