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छुपी हो लाख पर्दों में मुहब्बत देख लेते हैं ।
किसी चहरे पे हम ठहरी नज़ाकत देख लेते हैं ।। 1
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तेरी आवारगी की हर तरफ चर्चा ही चर्चा है ।
यहां तो लोग तेरी हर हिमाक़त देख लेते हैं ।। 2
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चले आना कभी दर पे अभी तो मौत बाकी है ।
तेरे जुल्मो सितम से हम कयामत देख लेते हैं ।।3
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बड़ी मदहोश नजरों से इशारा हो गया उनका ।
दिखा वो तिश्नगी अपनी लियाकत देख लेते हैं ।। 4
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खबर तुझको नहीं शायद तेरी उल्फत में हम अक्सर ।
जमाने भर के लोगों की हिदायत देख लेते हैं ।।5
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मेरे अहसास का अंदाज तुझको है कहाँ साकी ।
अगर तू है तो ये दुनियाँ सलामत देख लेते हैं ।।6
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परेशां हो के गुजरे हैं इसी कूचे से हम भी जब।
तुम्हारी मुस्कुराहट में किफ़ायत देख लेते हैं ।।7
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गज़ब अंदाज़ है उनका गज़ब दरिया दिली उनकी ।
रियाया के लिए वो भी रियायत देख लेते हैं ।।8
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झटक के जुल्फ वो चलते अदाएं हैं बड़ी क़ातिल ।
हम उनकी आँख की अक्सर शरारत देख लेते हैं ।।9
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हसीनों से सँभल कर तो यहाँ चलना है मजबूरी।
यहाँ मासूमियत में हम सियासत देख लेते हैं ।।10
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बहुत बेचैन दिखते हैं ये दीवाने चमन में जब ।
तुम्हारे हुस्न में होती इज़ाफ़त देख लेते हैं ।। 11
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मौलिक अप्रकाशित
--नवीन मणि त्रिपाठी
Comment
अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी..
हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन जी। बेहतरीन गज़ल।
मेरे अहसास का अंदाज तुझको है कहाँ साकी ।
अगर तू है तो ये दुनियाँ सलामत देख लेते हैं ।।6
आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ हार्दिक आभार ।
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
8वें शैर के सानी मिसरे में,'रियाया' ग़लत है,सही शब्द है "रिआया" ,इसी तरह 'रियायत' ग़लत है,सही शब्द है "रिआयत" देखियेगा ।
आ0 मुहम्मद आरिफ़ साहब हार्दिक आभार ।
भाई सुरेंद्र इंसान जी सप्रेम नमन । आपको ओबीओ में देख कर बहुत खुशी हुई । आ0 समर कबीर साहब के निर्देशन में लिखने की कोशिश करता रहता हूँ । अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी है । रचना तक आने के लिए एक बार पुनः धन्यवाद ।
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर नमन। ग़ज़ल का बेहतरीन प्रयास हुआ है ।दिली दाद कबूल करे जी।
मेरे अहसास का अंदाज तुझको है कहाँ साकी ।
अगर तू है तो ये दुनियाँ सलामत देख लेते हैं । वाह!वाह!! बहुत.ही उम्दा शे'र लगा ।
एक शानदार ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ।
कुछ वर्तनी पर ध्यान दिलाना चाहूँगा जैसे:- बाकी/बाक़ी , जुल्मो/ज़ुल्मों , कयामत/क़यामत ,खबर/ख़बर , जमाने/ज़माने , अंदाज/अंदाज़ , नजरों/नज़रों, गुजरे/गज़रे , मजबूरी/मज़बूरी आदि ।
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