फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मेरी सारी वफ़ा ओबीओ के लिये
काम करता सदा ओबीओ के लिये
दिल यही चाहता है मेरा दोस्तो
जान करदूँ फ़िदा ओबीओ के लिये
आठ क्या,आठ सो साल क़ाइम रहे
है यही इक दुआ ओबीओ के लिये
मेरे दिल में कई साल से दोस्तो
जल रहा इक दिया ओबीओ के लिये
सुब्ह से शाम तक,शाम से सुब्ह तक
इज़्न सबको दिया ओबीओ के लिये
वक़्त थोड़ा सा यारो निकाला करो
है मेरी इल्तिजा ओबीओ के लिये
दोस्तो ग़ौर करना मेरी बात पर
मैंने सब कह दिया ओबीओ के लिये
ऐसा महसूस होता है रब ने "समर"
मुझको पैदा किया ओबीओ के लिये
'समर कबीर'
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,आपकी कमी महसूस हो रही थी लेकिन आप गाँव में परिवार के साथ वहाँ की ज़िंदगी का लुत्फ़ उठा रही थीं ।
ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
मेरे दिल में कई साल से दोस्तो
जल रहा इक दिया ओबीओ के लिये
वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह आदरणीय समर भाई जी ओबीओ को समर्पित बेहतरीन ग़ज़ल हुई
दिल से ढेरों बधाई
अत्यधिक व्यस्तता के बाद बहुत दिनों के बाद ओबीओ पर आई हूँ अब संभवतः सक्रीय रहूंगी
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । ओबीओ ज़िंदाबाद ।
आदरणीय समर साहब ओ बी ओ को दिया गया आपका तोहफा निहायत ही उम्दा और पुरखुलूस है । आपकी कलम और ओ बी ओ के प्रति समर्पण को नमस्कार
जनाब अजय गुप्ता जी आदाब, सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
वाह सर। बहुत खूबसूरत और दिलकश ग़ज़ल।
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, ग़ज़ल में शिर्कत के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । ओबीओ ज़िंदाबाद ।
आद0 आली जनाब समर साहब सादर प्रणाम। ओ बी ओ को समर्पित इस ग़ज़ल से पूरा मंच अपने आप को जोड़ रहा है। ओ बी ओ परिवार गौरवान्वित हुआ है इन पंक्तियों से। ओ बी ओ के लिए आपकी लगन और समर्पण अनुकरणीय और अत्यंत सराहनीय है। मेरी आपको कोटिश शुभकामनाएं और बधाइयाँ निवेदित है। ओ बी ओ जिंदाबाद
जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
वाह वाह वाह वाह वाह लाजवाब
जिंदाबाद जिंदाबाद
सादर नमन जी।
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