आज फिर ....
नहीं जला
चूल्हा
उसके घर
आज फिर
घर से निकला
उदासी में लिपटा
काम की तलाश में
एक साया
आज फिर
लौट आया
रोज की तरह
खाली हाथ
आज फिर
पेट में
क्षुधा की ज्वाला
सड़क पर
काम की ज्वाला
नौकरियों में
आरक्षण की ज्वाला
ज्ञान गौण
प्रश्न मौन
उलझन ही उलझन
माथे पर
चिंताओं को समेंटे
यथार्थ से निराकृत
खाली हाथ
लौट आया
आज फिर
पत्नी की आँखों में
सवाल
बच्चों की आँखों में
सवाल
माँ की आँखों में
बस
अपने बच्चे की
उबलती
बेबसी
जो
बह निकली
रोज की तरह
आज
फि........ र
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय बृजेश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहिब, आदाब। ... सृजन के भावों को आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , प्रस्तुति आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से उपकृत हुई , हार्दिक आभार।
बेहतरीन बेहतरीन..शानदार भाव चित्रण किया है आदरणीय..
आदरणीय Shyam Narain Verma जी सृजन के भावों को सहमति देती प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी सृजन के भावों को आत्मीय सहमति देती प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।
जनाब सुशील सरना साहिब ,हालाते हाज़रा पर बहुत ही सुन्दर कविता हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,आज के हालात पर मार्मिक कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई | सादर
आ. सुशिल जी,
अच्छी कविता हुई है जिसके लिये आप बधाई के पात्र हैं,
आपका पात्र रोज़ काम खोजने जा है और नौकरी में आरक्षण सिर्फ सरकारी नौकरी तक सिमित है .. जो एक दिन में आरक्षण वाले को भी नहीं मिलती ..
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online