(चौथे शैर में तक़ाबल-ए-रदीफ़ नज़र अंदाज़ करे)
नसीहत जो बुज़ुर्गों की न मानी याद आएगी
हमें ता उम्र उनकी सरगरानी याद आएगी
मियाँ मश्क़-ए-सुख़न कर लो नहीं ये खेल बच्चों का
ग़ज़ल कहने जो बैठोगे तो नानी याद आएगी
ज़माने भर की आसाइश के जब सामाँ बहम होंगे
तुझे माँ-बाप की क्या जाँ फ़िशानी याद आएगी
जुड़ी होंगी मज़ालिम की बहुत सी दास्तानें भी
हवेली गाँव की जब ख़ानदानी याद आएगी
क़वाफ़ी जब भी आएँगे ग़ज़ल में ज़िन्दगानी के
मुझे तब "नूर"की वो 'कूड़ेदानी' याद आएगी
----
सरगरानी--नाराज़गी
मश्क़-ए-सुख़न--ग़ज़ल अभ्यास
आसाइश--आराम
जाँ फ़िशानी--मिहनत
मज़ालिम--अत्याचार
"नूर"--निलेश 'नूर'
---
'समर कबीर'
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आद0 आली जनाब समर कबीर साहब सादर प्रणाम। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल आपके हवाले से पढ़ने को मिली।
मियाँ मश्क़-ए-सुख़न कर लो नहीं ये खेल बच्चों का
ग़ज़ल कहने जो बैठोगे तो नानी याद आएगी
एकदम दुरुस्त बात कही आपने।
क़वाफ़ी जब भी आएँगे ग़ज़ल में ज़िन्दगानी के
मुझे तब "नूर"की वो 'कूड़ेदानी' याद आएगी
वाह नूर भाई जी की कुड़ेदानी का क्या कहना,
खानदानी का क्या कहना। एक बेहतरीन ग़ज़ल पर दिल खोल के बधाई आपको। लाजबाब
हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब। लाज़वाब गज़ल।
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
क्या समर सर आप भी....
आनी काफिया था तो मुझे लपेट लिया... ई काफिया होता तो ताज़ी ताज़ी ग़ज़लें पेश करने वाले उस्तादों को भी लपेट लेते ..
ये ज़मीन पक्की पकड रखी है आपने .. दो तीन बंगले तो बन ही गए हैं शायद अबतक ..
ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई
सादर
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय समर साहब। वाह वाह। मत्ला विशेष हुआ है।
और आख़िरी का जवाब नहीं। मैंने भी आपकी और उनकी वो चर्चा का बख़ूबी आनन्द लिया था।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online