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ग़ज़ल (जिस को कुछ ग़म न हो कमाई का)

(फाइलातुन - - मफा इलुंन - - - फेलुन)

जिस को कुछ ग़म न हो कमाई का |

वो करे काम आशनाई का |

मुझको ले आए ग़म की सरहद तक

शुक्रिया उनकी रहनुमाई का |

झूटी तुहमत पे तैश खाते हो

यह तरीक़ा नहीं सफ़ाई का |

मनज़िले इश्क़ पा सकेगा वही 

सह लिया जिसने ग़म जुदाई का |

मैं वफादार था लगा फ़िर भी 

मुझ पे इल्ज़ाम बे वफाई का |

ज़ुल्म उस हद तलक रहें मह दूद

आए मौक़ा न जग हँसाई का |

उस पे आती हैं मुश्किलें तस्दीक 

काम करता है जो भलाई का |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 17, 2018 at 4:53pm

जनाब डॉक्टर आशुतोष साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2018 at 1:43pm

आदरणीय तस्दीक जी .हर शेर उम्दा है ...बढ़िया ग़ज़ल है इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें  सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 16, 2018 at 8:06pm

जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब  , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 16, 2018 at 8:04pm

मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 16, 2018 at 8:02pm

जनाब श्याम नारायण साहिब ;ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 16, 2018 at 6:43pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on May 16, 2018 at 4:39pm
उस पे आती हैं मुश्किलें तस्दीक
काम करता है जो भलाई का |सच है , सच है । जो भलाई करता है उसे ही बुराई का सामना करना पड़ता है ।
बहुत ही अच्छे अश'आरों सजी ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें आदरणीय तस्दीक अहमद साहब ।
Comment by Shyam Narain Verma on May 16, 2018 at 4:34pm
वाह बेहद खूबसूरत प्रस्तुति … हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

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