For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : धनवान (गणेश जी बाग़ी)

नर्स अनिता उदास होकर अपनी सहकर्मी से बोली, "आज का दिन ही खराब है, बेड नंबर चार को भी लड़की हुई है । याद है जो सुबह में बेटी पैदा हुई थी ?"
"कौन ! वही क्या, जो लोग बड़ी गाड़ी से आये थे"
"हाँ रि वही, बख्शीस माँगा, तो कुछ दिया भी नही और गुस्से से बोला कि एक तो बेटी हुई है और तुम्हे बख्शीस की पड़ी है"
खैर ....
"मालती देवी के घर से कौन है ?"
"जी बहन जी, मैं हूँ, बताइए न, मालती कैसी है और ...."
रघुआ घबराते हुए बोला ।
जी, आपके घर लक्ष्मी आयी है ।
रघुआ खुशी से झूम उठा और बारी बारी से कुर्ता के दोनों पाकिटों से कुछ मुड़े टूडे दस और बीस के नोट नर्स की हाथों पर रख दिया ।
अनिता को सहसा विश्वास ही नही हुआ ।
"लग रहा है आप सब पैसा बख्शीस में ही दे दिये, घर जाने के लिए रिक्शा-गाड़ी खर्च के लिए कुछ रखे हैं कि नही ?"
"कोई बात नही बहन जी, घर जाने के लिए मेरा अपना रिक्शा है न"
अनाथालय में पली-बढ़ी अनिता नम आँखों के साथ सोचने लगी, काश उसका भी बाप कोई रिक्शा वाला होता ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on June 2, 2018 at 8:27pm

धनवान वो नहीं है जिसे पास अधिक धन है बल्कि वो है जिसके पास बड़ा दिल है. इस सार्थक सन्देश को देती उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय गणेश जी 'बाग़ी' जी. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 1, 2018 at 10:21am

आदरणीय गणेश 'बाग़ी' जी आदाब,

                          सच है , आज की तरक़्की के दौर में बहुत तेज़ चलकर भी बहुत पीछे हैं । हमारी सोच में पुरातन का वायरस घुसा हुआ है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस शानदार पेशकश पर ।

Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2018 at 3:41pm
इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, आदरणीय सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 29, 2018 at 10:05pm

कभी - कभी लगता है , हम अभी भी वहीं हैं , आगे बढ़ने और बढ़ लेने का तो मात्र दिखावा करते हैं।
बधाई , इस प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए , आदरणीय गणेश जी, बागी जी , सादर।

Comment by babitagupta on May 29, 2018 at 2:11pm

बहुत ही भावपूर्ण रचना में पंक्ति उसका भी बाप.......प्रस्तुत रचना पर बधाई.

Comment by TEJ VEER SINGH on May 29, 2018 at 12:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब लघुकथा।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 29, 2018 at 12:00pm
हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब लघुकथा।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 29, 2018 at 7:23am

आदरणीत बागी सर  आपकी इस उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई काश उसका भी बाप कोई रिक्शा वाला होता ।ये पंक्ति तो दिमाग ने घोइम रही है सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 28, 2018 at 9:56pm

परिश्रमी धनवान दिल वाले की प्रतयुत्पन्नमतिमय असीम प्रसन्नता बाख़ूबी सम्प्रेषित हुई है!

इस नज़रिये से बढ़िया सटीक शीर्षक!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 28, 2018 at 9:53pm

ज़मीनी हक़ीक़त बताती सामाजिक सरोकार पर केंद्रित बेहतरीन भावपूर्ण लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और हार्दिक आभार आदरणीय श्री गणेश जी ' बागी' जी। पुरुष प्रधान समाज मेंं एक मिहनतकश  पिता की सकारात्मकता उभारती बेहतरीन रचना। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service