बातें ...
लम्हों की आग़ोश में
नशीली सी रातों की
शीरीं से अल्फ़ाज़ की
महकती बातें
बे हिज़ाब रातों की
शोख़ी भरी शरारतों की
तन्हाई में भीगी
बरसाती बातें
आँखों के सागर में
जज़्बात की कश्ती में
यादों के साहिल पे
सुलगती बातें
जिस्म की पनाहों में
अनदेखी राहों में
दिल की गुफ़ाओं में
बहकती बातें
मोहब्बत के मौसम में
आँखों की शबनम में
ग़ज़ल की करवटों में
उफ़नती बातें
आर्ज़ू के लिबास में
तिश्ना लबों की प्यास में
लम्स से बतियाती
वो मदमाती बातें
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
बनती बातें
बिगड़ती बातें
नदी के मानिंद उफनती बातें
अहसासों में ढलती
साँसों में पिघलती
अल्फ़ाज़ों में बदलती
छन-छन छन-छन करती
पहली बारिश की बूँदों सी मचलती
हार्दिक बधाई शानदार पेशकश पर आदरणीय सुशील सरना जी ।
आदरणीय सुशील सरना जी, नमस्कार । अच्छी कविता की प्रस्तुति के लिए बधाई।
बेहतरीन, वाह बहुत बहुत बधाई आपको
हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।बेहतरीन कविता
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