कुछ क्षणिकाएं(6) :
1
नैनों का मौन
आमंत्रण
परिणाम
अभ्यंतर में
हुआ आभूषित
मौन
समर्पण
...................
2
पलकों के घरौंदों में
स्वप्न बोलते हैं
नैन
प्रभात में
यथार्थ
तौलते हैं
........................
3
चलो
हो गई मुलाकात
स्पर्शों की आंधी में
बीत गयी रात
हो गई प्रभात
............................
4
प्रेम
मौन अभिव्यक्ति
चिर प्रतीक्षित
मधुर
आसक्ति
.............................
5
एकांत
अनुरंजित
शयन द्वार पर
नूपुर
अनुरणन से
..........................
6
नयनों के तीर
अलि सी
विचरण करती
विरहन की
पीर
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
लाजवाब रचनाए
आदरणीय नीलम उपाध्याय जी सृजन को अपनी मनोहारी प्रतिक्रिया से मान देने का दिल से आभार।
आदरणीया बबितागुप्ता जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।
आदरणीय गुमनाम पिथौरगढ़ी जी सृजन अपनी वाह से मान देने का दिल से आभार
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .... आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार। ईद मुबारक सर।
अच्छी रचना की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय सुशिल सरना जी।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सरजी.
वाह बहुत खूब,,,,
जनाब सुशील सरना जी आदाब,उम्दा क्षणिकाएँ लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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