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बड़ी अच्छी कविता रची है आदरणीय...
खुब सुन्दर रचना
आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन आपकी ऊर्जावान प्रशंसा एवं सुझाव का आभारी है। आपका शक सही है , पाँव होना चाहिए , मैंने संशोधित कर दिया है। आपका हार्दिक आभार।
आदरणीया रक्षिता सिंह जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का आभारी है।
आदरणीय गुमनाम पिथौरगढ़ी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का आभारी है।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
"अपने पावों के लिए" इस पंक्ति में "पावों" शब्द ठीक है क्या?
आदरणीय सुशील जी नमस्कार!
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ, हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
वाकई सपने धीरे धीरे रूप बदलते हैं......
चूजे से सपनो में देखा है जिनको उनको पंख लग गए, और वे सब.... जीवन का यथार्थ है| बहुत सुंदर लिखा है आपने आदरणीय सुशिल सरना जी| बधाई स्वीकारें|
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