For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न ....
 
कल तक
चूजे से मेरे स्वप्न
रोशनी से डरते थे
हर वक्त
पलकों से चिपके रहते थे
 
लेकिन आज
वो चूजे से स्वप्न
किशोर हो गए हैं
अपनी दहलीज़ लांघने को
उत्सुक हैं
अपने पाँव के लिए
ज़मीन तलाशते हैं
अपने लिए
उन्मुक्त आसमान ढूंढते हैं
उड़ने के लिए
 
किशोर स्वप्न
व्यस्क होते ही
जताने लगे हैं
अपने अधिकार
पलकों की चौखट के
बाहर भी
 
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 10:58am

बड़ी अच्छी कविता रची है आदरणीय...

Comment by narendrasinh chauhan on June 21, 2018 at 7:40pm

खुब सुन्दर रचना

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:10pm

आदरणीय समर कबीर साहिब सृजन आपकी ऊर्जावान प्रशंसा एवं सुझाव का आभारी है। आपका शक सही है , पाँव होना चाहिए , मैंने संशोधित कर दिया है। आपका हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:10pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:10pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरगढ़ी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:10pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on June 19, 2018 at 6:21pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

"अपने पावों के लिए" इस पंक्ति में "पावों" शब्द ठीक है क्या?

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 6:49am

आदरणीय सुशील जी नमस्कार!
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ, हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 18, 2018 at 8:38pm

वाकई सपने धीरे धीरे रूप बदलते हैं......

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 18, 2018 at 7:54pm

चूजे से सपनो में देखा है जिनको उनको पंख लग गए, और वे सब.... जीवन का यथार्थ है| बहुत सुंदर लिखा है आपने आदरणीय सुशिल सरना जी| बधाई स्वीकारें|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service