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आपको तो दिल जलाना आ गया

2122 2122 212
जख्म  देकर  मुस्कुराना  आ   गया ।
आपको तो दिल जलाना आ गया ।।

काफिरों  की ख़्वाहिशें  तो  देखिये ।
मस्जिदों में सर झुकाना  आ गया ।।

दे गयी बस इल्म इतना मुफलिसी ।
दोस्तों  को  आजमाना  आ  गया ।।

एक  आवारा  सा  बादल  देखकर ।
आज मौसम आशिकाना आ गया ।।

क्या  उन्हें   तन्हाइयां  डसने  लगीं ।
बा अदब  वादा निभाना आ गया ।।

नज़्म जब लिखने चली मेरी कलम ।
याद  फिर  तेरा फ़साना आ  गया ।।

उठ  गया  पर्दा  जो  मेरे  इश्क़ से ।
बीच  में  सारा  ज़माना  आ  गया ।।

जब  मयस्सर हो  गईं रातें  सियाह ।
जुगनुओं को जगमगाना आ गया ।।

मुस्कुराता चाँद जब निकला कोई ।
गीत  मुझको  गुनगुनाना  आ गया ।।

हो  गए घायल  हजारों  दिल  यहाँ ।
वार  उसको  कातिलाना आ गया ।।

तिश्नगी  देती  है  कुछ  मजबूरियां ।
अब उन्हें चिलमन हटाना आ गया ।।

              --नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित















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Comment by Naveen Mani Tripathi on June 27, 2018 at 6:38pm

आ0 रक्षिता सिंह जी ग़ज़ल तक आने के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 27, 2018 at 1:45pm

आदरणीय नवीन जी नमस्कार

बहुत ही खूबसूरत गजल, आनन्द आ गया...

शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमायें ..!

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 8:05pm

जनाब आशीष जी

जनाब गुमनाम जी

जनाब नीरज जी,

       आप सब ग़ज़ल तक आये इसके लिए तहे दिल से शुक्रियः  आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 8:03pm

आ0 महेंद्र कुमार साहब हार्दिक आभार  ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 8:02pm

आ0 सुशील शरण साहब विशेष आभार । तहे दिल से शुक्रियः ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 8:01pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी आप ग़ज़ल तक आईं इसके लिए तहे दिल शुक्रियः ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 7:59pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार । आपकी मेरी ग़ज़लों पर निरंतर उपस्थिति आपके अतुलनीय स्नेह का स्पष्ट प्रमाण देती है । आपकी टिप्पणियां मुझे ऊर्जावान करती हैं । पुनः आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 7:55pm

आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह कुश क्षत्रप जी हार्दिक आभार । अधिक अशआर लिखना मेरी बुरी आदत हो सकती है लेकिन अभ्यास के तौर पर मैं इसे सकारात्मकता के साथ स्वीकार करता हूँ । सोचता हूँ कि 11 शेर लिख डालूं हो सजता है उसमें से अच्छे शेर की संख्या बढ़ जाए । 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 7:50pm

आ0 कबीर सर आपकी इस्लाह मेरे लेखन के लिए अत्यंत महत्व पूर्ण होती है । आपकी कृपा ऐसे ही बनी रहे तो मुझे भी एक दिन गज़ल लिखनी आ जायेगी । सादर नमन के साथ  आभार ।

Comment by नाथ सोनांचली on June 26, 2018 at 4:42pm

आद0 नवीन मणि जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल पर बधाई। आपकी खासियत यह है कि आप ग़ज़ल में काफी अशआर लेकर आते हैं ।

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