For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न,यथार्थ और प्रेरणा (कहानी )

पुश्तैनी घर में होने वाले रोज़-रोज़ के झगड़े से तंग आ चुका था और मंशा थी की अपना एक अलग घोसला बनाया जाए |श्री वर्मा जी जो की मेरे शिक्षक,मार्गदर्शक एवं प्रेरणाश्रोत रहे हैं उनसे इस सिलसिले में मिलने पहुँचा |

मिलते ही उन्होंने प्रश्न किया-सबसे पहले यह बताओ की कितनी नकद राशि है और घर लेने की क्या योजना है |

“पैसे तो छह-सात लाख के आसपास हैं बाकि पैसे लोन करा लूँगा |सोच रहा हूँ की कोई जड़ सहित मकान या फ़्लोर मिल जाए |”मैंने हिचकिचाते हुए कहा

“लेकिन या परंतु बाद में ---सबसे पहले निर्णय बताओं की चाहते क्या हो ?”

“जी !मैं तो जड़ से बना मकान ही चाहता हूँ |”मैंने दबी जुबान में कहा |

“आज की महंगाई में कम से कम चालीस लाख ---और उसके आधे नकद होने चाहिएँ |”

“तो फ़िर फ़्लोर ही देख लेते हैं |” मैंने दबी जुबान में कहा

“जिंदगी में हमेशा समझौता ही करते रहोगे |तुम्हें मालूम भी ही बिल्डर फ़्लैट एवं जड़ से बने मकान में कितना फ़र्क है |”

“जी !---पर पैसे कहाँ से आएँगे |”

“तुम्हें नौकरी करते दस साल बीत गए हैं फिर भी तुम्हारें पास दस लाख भी नहीं हैं ---कितनी बार कहा की खाली समय में कुछ ट्यूशन पकड़ लो ---जो दो चार रुपए अतिरिक्त आमदनी होगी उससे दूध-तेल का खर्च निकल आएगा ---बूंद-बूंद से ही तो घड़ा भरता है |तुम सबसे बड़े आलसी और कामचोर हो और सोचते हो सब कुछ पका-पकाया मिल जाए |”

“सर !समय कहाँ हैं ?---घर की समस्या हैं |---बच्चे छोटे हैं |----माँ-बाप बीमार रहते हैं |”मैंने अपनी समस्याएँ गिनानी शुरू की |

“तुम ये कहना चाहते हो की तुम सबसे जिम्मेवार और व्यस्त व्यक्ति हो !पर मुझे लगता है ---तुम सबसे बड़े आलसी और कामचोर हो और सोचते हो सब कुछ पका-पकाया मिल जाए | तुम्हारे पास सात घंटे की नौकरी के बाद सुबह-शाम में से एक या दो घंटे भी नहीं निकल रहे !”

“मैं कुछ समय अपनी रूचि को देना चाहता हूँ ---आप को तो पता है मेरा लिखने में मन लगता है |” मैंने गर्दन झुकाए हुए ही कहा |

“लिखने से अब तक कितना कमाया ?—उसने तुम्हें कौन सी पहचान दी ?”

“जी एक पैसा भी नहीं ---पर लिखने से संतोष मिलता है |”

“वो संतोष किस काम का जहाँ तुम्हें और तुम्हारें परिवार को अपनी हर जरूरत के लिए मन मारना पड़े----मुझे देख लो रिटायरमेंट के आसपास पहुँच गया हूँ फिर भी होम ट्यूशन कराकर आता हूँ ---दूसरे-तीसरे रोज़ नकद मिल आते हैं ऐसा लगता है की बोनस मिला हो –खर्च करने में भी मज़ा आता है |”

“पर ट्यूशन भी तो एक प्रकार का बंधन हैं |”

“बिना त्याग-बिना मेहनत करे कुछ नहीं मिलता|---देअर इज़ नो फ्री लंच----वास्तविकताओं से भागकर भानुमती का किला बनाना जिंदगी का हल नहीं है ----नहिं सुप्त्स्ये सिंहस्य प्रवेश्न्ति मुखे मृगा------तुम औरों को देखकर अजगर हुए जा रहे हो ---अजय अपने पिता का एकलौता पुत्र है |उनका अपना मकान है और साहब रिटायर हुए हैं तो मोटी रकम मिली है ---राहुल की पत्नी उसी की तरह सरकारी नौकर है |यहाँ उसकी आय तुमसे दोगुनी है –अगर तुम उन्हें देखकर चलोगे तो पिछड़ते चले जाओगे |”

“मैं खुद सोच रहा हूँ की पाँचवी तक की ट्यूशन शुरू कर दूँ |” मैंने हल्की आवाज़ में कहा|

“तुम पोस्ट-ग्रेजुएट हो---प्राईमरी अध्यापक हो और तुम पाँचवी तक सोच रहे हो|वहाँ पैसे कम मिलेंगे और संघर्ष उतना ही है ----बड़ी क्लासों को क्यों नहीं ?”

“अनुभव नहीं है |डर लगता है |”

“अनुभव कोई बाज़ार में तो मिलेगा नहीं और जहाँ तक डर या झिझक की बात है वो अपनी क्षमताओं का न पहचान सकने के कारण हैं |जब मुझे ट्यूशन शुरू करनी थी तो मैं भी असमंजस में था |मैं अंग्रेजी का पोस्ट ग्रेजुएट,10 को गणित की ट्यूशन कैसे दूँ |तब मेरे साथी वीर सिंह ने मेरा हौसला बढ़ाया |---उन्होंने मुझे कुछ किताबें बताई---मुझे याद दिलाया की दसवी में मेरी गणित में मेरिट थी---समस्या आने पर मुझे मार्गदर्शन दिया---और मेरे पीरियड गणित क्लासों में लगवा दिए ---उसके बाद से मैंने मुड़ कर नहीं देखा और अब तो मैं इंटर वालों को भी बिना इंटरवल पढ़ाता हूँ |----तुम शुरू करो जहाँ दिक्कत हो मैं खड़ा हूँ |”

मैं अभी भी उन्हें शंका से देख रहा था |शायद उन्होंने मेरा भाव ताड़ लिया और फिर बोले -क्षमता सबमें होती है |समस्या है केवल उसे पहचानने की और चुनौतियों से लड़ने की |पिछले साल की बात है |मेरे जानकर डाक्टर की पुत्री महाशय चुन्नीलाल स्कूल में पढ़ती थी |डाक्टर साहब अपने क्लिनिक और एन.जी.ओ. में व्यस्त थे और बेटी पर ध्यान नहीं दे पाए और सितम्बर परीक्षा में कैमिस्ट्री में फेल हो गई |बच्ची हताश एवं निराश थी और डाक्टर साहब बुरी तरह परेशान |नवम्बर में उन्होंने मुझे अप्रोच किया और कोई अच्छा ट्यूटर ढूढ़ने को कहा |मैंने अपने स्कूल के साथी कमल किशोर से सम्पर्क किया और उनसे उसे पढ़ाने का आग्रह किया |उन्होंने कहा की इतने कम दिन में कुछ नहीं होगा |बार-बार आग्रह पर उन्होंने कहा की वो एक सप्ताह बाद गाँव से लौटकर बताएँगे |फिर उन्होंने कहा की वो मेरे आग्रह पर उसे पढ़ा देंगे | पर पुरे सात सौ रुपए घंटे लेंगे और बच्ची उनके घर आएगी |डाक्टर साहब ने ये शर्त भी स्वीकार कर ली |पहले दिन जब बच्ची गई तो उन्होंने उससे तरह-तरह के सवाल पूछें,स्कूल-कार्य देखा और उसे बुरी तरह से लताड़ा |उन्होंने कहा की वह लड़की नालायक है और वो कभी पास नहीं हो सकती और उसे अगले साल आर्ट में दाखिला ले लेना चाहिए |समुन मायूस और हताश होकर घर लौट आई और बुरी तरह डिप्रेश हो गयी |डाक्टर साहब का मुँह लटक गया और कमल किशोर ने वही बात मुझसे दोहराई |मैंने सिर्फ़ इतना कहा की भाई-साहब अब परिणाम जो भी हो मुझे सुमन को उबारने की एक कोशिश तो करनी ही है |कमल किशोर ने मेरी तरफ़ व्यंग्यात्मक दृष्टि से देखा | “तो क्या वो लड़की फेल हो गई ?” मैंने जिज्ञासा से पूछा “हिम्मते बंदे मददे खुदा ---मैंने सबसे पहले उस लड़की की काउंसलिंग की और उस अपनी ताकत पहचानने को कहा |वहीं स्कूल में मैंने पिछले वर्षों में विज्ञान के टॉपर बच्चों का पता लगाया और उनका फ़ोन नम्बर निकाला | रोहन नाम का एक लड़का जो बी.एस.सी. क्र रहा था और पिछले वर्ष ही स्कूल से पास-आउट था उससे मेरा सम्पर्क हुआ और वह 15 दिसम्बर को मुझसे मिला |मैंने उसे सारी स्थिति से अवगत कराया और कहा की यह चुनौती उसके अध्यापक कमल किशोर ने दी है |

“फिर रोहन ने भी नहीं पढ़ाया !” मैंने उत्सुकता से पूछा |

"रोहन ने कहा की उसे पढ़ाने का कोई अनुभव नहीं है और समय बहुत कम है |तब मैंने पूछा की क्या उसे केमिस्ट्री आती है |

“हाँ |” रोहन ने जवाब दिया |

“मैं तुम्हें 400 रुपए घंटे दिला सकता हूँ और रही पढ़ाने की बात |जैसा मैं कहूँ वैसा करते जाना |उसने एक सप्ताह का समय माँगा और मैंने भी डूबते को तिनके का आसरा वाली बात मान डाक्टर साहब को लड़के पर भरोसा करने को कहा |”

“अब नाव आपके भरोसे है ?’ डाक्टर साहब ने इतना भर कहा |

दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से रोहन ने पढ़ाना शुरू किया |मैंने बाज़ार से पॉइंट टू पॉइंट केमिस्ट्री मंगा दी |रोहन से कहा की वो सबसे पहले आसन पाठों से पूछे गए प्रश्न तैयार करवाए और रोज़ पाँच-छह प्रश्नों का टेस्ट दे और उसे अगले दिन चैक करे और जरूरत पड़े तो अगले दिन फिर अभ्यास करवाए |रोहन ने लगभग पच्चीस क्लासें ली |

“तो उसके पास-मार्क आ गए ?” मैंने उत्सकुता जाहिर की|

“सच और साहस है जिनके मन में अंत में जीत उसी की हुई ---उस लड़की के केमिस्ट्री में 72 मार्क्स आए और कुल 80 % कमल किशोर जी को जब मैंने उसकी रिपोर्ट कार्ड दिखाई तो उन्होंने शर्म महसूस की----सुमन का दिल्ली बी.टी.सी. में दाखिला हो गया और रोहन ने अब अपना एक कोचिंग सेंटर खोल लिया है |” ऐसा कहकर वो मेरी तरफ़ चुपचाप देखने लगे |

“सोच तो मैं भी रहा हूँ कई दिनों से पर टाईम ?” मैंने कुछ शंका से कहा|

“देअर इज़ आलवेज़ 24 आवर्स इन अ डे ---विजेता अपने समय और संसाधनो को मैनेज करते हैं और निकम्मे कमियों का रोना रोते हैं ---हेमंत जो तुम्हारा जूनियर है ,बाल भारती में पढ़ाता है,कोचिंग सेंटर चलाता है अपने भाई के सेंटर का एग्जाम इंचार्ज है उससे मेरे पड़ोसी के बच्चे ने घर पर पढ़ने की जिद पकड़ ली ---हेमंत ने समयाभाव के चलते मना कर दिया |स्कूल में हेमंत ने मुझे अपना आदर्श बताया था |जब यह बात पड़ोसी को पता चली तो उन्होंने मुझसे आग्रह किया |मैंने हेमंत से बात की तो उसने मुझसे पाँच दिन का समय लिया |फिर उसने सुबह पाँच बजे पढ़ाने का समय दिया |हेमंत को उस अभिभावक ने 1000 रुपए घंटे दिए और पड़ोसी का बच्चा आज इंजिनियरिंग करके 1000000 के पैकज में गुरुग्राम में नौकरी कर रहा है |यहाँ एक ने रिसोर्स मैनेज किया दूसरे ने समय को ---इसे ही मैनेजमेंट कहते हैं |”

“सॉरी सर !मैं आपकी बात समझ गया |”कहकर मैंने उनके चरण छुए और घर आ गया |

मैंने अगले ही अपना ट्यूशन-बैनर बनवा दिया और गली-मौहल्ले में अपने निर्णय की घोषणा कर दी है |अभी तीन ही दिन बीते हैं और कुछ घरों से ट्यूशन की क्वेरी आने लगी है |यह कहानी लिखते समय में सोच रहा हूँ की अब मैं अगली कहानी कौन सी लिखूँगा और उसके लिए समय कहाँ से आएगा |क्या मेरा ट्यूशन सेंटर चलेगा और क्या मैं लिखने और ट्यूशन में तालमेल स्थापित कर पाऊँगा |सबसे बड़ी बात क्या मेरा यह कदम  मेरे परिवार को वो सारी खुशियाँ उपलब्ध करवा पाएगा जिसे मैंने अपने लेखक बनने की जिद्द के कारण हासिए पर रखा है |इनके जवाब समय ही देगा |बरहाल में अपने प्रेरक से प्रभावित हो स्वप्न की दुनिया से निकलकर यथार्थ के धरातल पर पहला कदम रख चुका हूँ |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अमुद्रित )

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2018 at 4:00am

बहुत सुंदर कथा... आ. सोमेश जी , हार्दिक बधाई ।

Comment by somesh kumar on July 3, 2018 at 11:07pm
अनमोल प्रतिक्रिया एवं हौसलाअफजाई के लिए आभार |
Comment by Neelam Upadhyaya on July 2, 2018 at 3:52pm

आदरणीय सोमेश  जी, बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई  स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on July 2, 2018 at 3:18pm

जनाब सोमेश जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
6 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"आ. भाई सालिक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service