For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122 212

तोड़ डाला खुद को तेरी आशिकी के रोग में नहीं
तुम नहीं लिक्खे थे मेरी कुंडली के योग में

अब तेरी तस्वीर दिल से मिट गई है इस तरह
जैसे ईश्वर को भुला डाले कोई भवरोग में

तेरे ग़म की,इश्क़ की मूरत थी मुझमें,ढह गई
आ नहीं सकती ये मिट्टी अब किसी उपयोग में

मिल गया,कुछ खो गया, कुछ मिलके भी खोया रहा
साथ थी तक़दीर भी जीवन के हर संयोग में

चैन तेरे इश्क़ के बिन मिल नही पाया कहीं
तेरे ग़म में जो असर है योग में ना भोग में

अब किसे जाकर सुनाऊँ दर्द के ये तर्जुमा
तन्हा शाइर जल रहा है बेबसी में ,सोग में

ये समझ आता नही अपनो में बेगाना है कौन
मतलबी शर्तें जुड़ी है हर किसी सहयोग में

कर भला,होगा भला,अच्छा तू कर अच्छा मिले
ज़िन्दगी बेकार हो जाती है इस प्रयोग में

मौलिके और अप्रकाशित

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 19, 2018 at 4:29pm

अच्छी  ग़ज़ल हुई है भाई जी बधाई.. .. .. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2018 at 5:49am

आ. भाई मनोज जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाइ।

Comment by मनोज अहसास on July 17, 2018 at 2:44pm

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया

सादर

Comment by मनोज अहसास on July 17, 2018 at 2:43pm

ग़ज़ल पर अपनी महत्वपूर्ण इस्लाह के लिए आदरणीय समर कबीर साहब का हार्दिक आभार

सादर

Comment by vijay nikore on July 17, 2018 at 2:02pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई

Comment by Ajay Kumar Sharma on July 15, 2018 at 8:28am

बहुत सुन्दर रचना.

बधाई स्वीकार करें..

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 14, 2018 at 8:46pm

वाह लाजबाब गजल, साथ में शानदार समीक्षा भी , वाह , बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 6:03pm

वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय..बेहतरीन

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 13, 2018 at 4:13pm

बहुत खूब आदरणीय मनोज अहसास जी ,, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 3:47pm

 आदरणीय  मनोज कुमार जी, बढ़िया  ग़ज़ल की पेशकश के लिए बधाई स्वीकार करें  ।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
13 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service