For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाशिये पर आपकी दस्तार है कुछ कीजिये (ग़ज़ल राज)

बेसबब बेसाख़्ता रफ़्तार है कुछ कीजिये 
लड़खड़ाती जिंदगी हर बार है कुछ कीजिये 

उठ रही हैं उँगलियाँ सब आपके घर की तरफ़ 
हाशिये पर आपकी दस्तार है कुछ कीजिये 

वक्त आते ही डसेगा एक दिन वो आपको 
आस्तीं में पल रहा मक्कार है कुछ कीजिये 

आपके घर की तरफ़ से आ रहे पत्थर सभी 
आपके घर में छुपा गद्दार है कुछ कीजिये 

इस तरह तो मुफ़्लिसी दम तोड़ देगी भूख से 
आसमां को छू रहा बाज़ार है कुछ कीजिये

हैं मुखालिफ़ कुछ हवायें हो रही कमजोर छत 
डगमगाती आपकी सरकार है कुछ कीजिये 

काम की मसरूफ़यत से घूमने जाते नहीं 
आज बच्चे कह रहे इतवार है कुछ कीजिये

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1031

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 25, 2018 at 7:14pm

बहुत बहुत शुक्रिया आद० अजय गुप्ता जी 

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on July 17, 2018 at 11:38pm
  1. बहुत खूब। वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2018 at 7:28pm

आद० सुशील सरना जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी मेहनत सफल हुई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2018 at 7:28pm

आद० नीलेश भैया आपको ग़ज़ल पसंद आई तो तसल्ली हुई आपका दिल से बेहद शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2018 at 7:27pm

आद० बबिता गुप्ता जी आपका दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2018 at 7:26pm

आद० बसंत कुमार शर्मा जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2018 at 7:26pm

आद० बृजेश कुमार बृज जी आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2018 at 5:57pm

बेसबब बेसाख़्ता रफ़्तार है कुछ कीजिये
लड़खड़ाती जिंदगी हर बार है कुछ कीजिये

उठ रही हैं उँगलियाँ सब आपके घर की तरफ़
हाशिये पर आपकी दस्तार है कुछ कीजिये

वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी वाह .... दिलकश अशआर की इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 17, 2018 at 8:21am

बहुत ख़ूब..
अच्छी ग़ज़ल हुई   है आ. दीदी,
बहुत बहुत बधाई 

Comment by babitagupta on July 16, 2018 at 9:02pm

बेहतरीन गजल प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश दी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service