For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (हम अगर राहे वफ़ा में कामरां हो जाएँगे)

(फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ लु न)

हम अगर राहे वफ़ा में कामरां हो जाएँगे l
सारी दुनिया के लिए इक दास्तां हो जाएँगे l

आप ने हम को ठिकाना गर न कूचे में दिया
हम भरी दुनिया में बे घर जानेजाँ हो जाएँगे l

बे रुखी जारी रही फूलों से गर यूँ ही तेरी
खार भी तेरे मुखालिफ बागबां हो जाएँगे l

जैसे हम बचपन में मिलते थे किसे था यह पता
मिल नहीं पाएंगे वैसे जब जवां हो जाएँगे l

ज़िंदगी में इस तरह आएंगे महमाँ बन के वो
पहले दिल फ़िर दिल रुबा फ़िर दिल सितां हो जाएँगे l

इतनी जल्दी यह करिश्मा हो गा किस को आस थी
ज़ुल्‍म ढ़ाने वाले मुझ पर महरबां हो जाएँगे l

हम से नफरत करते करते किस को यह मालूम था
वो हमारे दिल में महमाँ नागहां हो जाएँगे l

शमअ तो शब भर जलेगी देखिए इनकी वफ़ा
जल के परवाने मगर पल में धुआँ हो जाएँगे l

कौन बोलेगा भला तस्दीक ज़ुल्मों के ख़िलाफ़ 
आप गर महफिल में गूंगे बे जुबां हो जाएँगे l

काम रां_ कामयाब, दिल सितां _माशूक़
ना गहां _अचानक

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 809

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2018 at 8:58pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब , ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया l

Comment by Mohammed Arif on July 18, 2018 at 1:23pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,

                             बहुत ही उम्दा, बेजोड़ और दिलकश ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 18, 2018 at 11:27am

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।

शमअ तो शब भर जलेगी देखिए इनकी वफ़ा 
जल के परवाने मगर पल में धुआँ हो जाएँगे l

Comment by Samar kabeer on July 18, 2018 at 11:05am

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब, तरही मिसरे पर पहली ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Samar kabeer on July 18, 2018 at 11:01am

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,इतनी मुख़्तसर टिप्पणी देना ओबीओ मंच की परिपाटी नहीं,कृपया इस ओर ध्यान दें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2018 at 10:57am

जनाब बसंत कुमार साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया l

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:29am

वाह बेहतरीन गजल 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service