For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज के दोहे :.....

चरणों में माँ बाप के, सदा नवाओ शीश।
इनमें चारों धाम हैं, इनमें बसते ईश।। १

पथ पथरीला सत्य का , झूठी मीठी छाँव।
माँ के आँचल में मिले ,सच्चे सुख की ठाँव।। २

पग-पग पर घायल करें, पुष्प वेश में शूल।
दर्पण पर विश्वास के, जमी छद्म की धूल।।३

समय सदा रहता नहीं, जीवन के अनुकूल।
एक कदम पर फूल तो , दूजे पर हैं शूल।।४

शादी करके सब कहें, शादी है इक भूल।
जीवन में न संग मिले, जीवन के अनुकूल।।५

सदा लगे वो शूल सी, जो लगती थी फूल।
'ढाल न पाये हम उसे,जीवन के अनुकूल'।।६

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 5, 2018 at 2:08pm

क्षमा की आवश्यकता नहीं,हो जाता है भाई ।

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 12:14pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब , प्रणाम। .. सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 12:14pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 12:09pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी सृजन पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 12:09pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ... सृजन पर आपकी प्रशंसात्मक एवं सुझावात्मक प्रतिक्रिया का दिल से आभार। आपके सुझाव पर मैं अभी अमल करता हूँ सर। इसके लिए आपका दिल से शुक्रिया। कंप्यूटर में तकनीकि व्यवधान के कारण आभार व्यक्त करने में हुए विलम्ब के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 12:08pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन को मान देने का दिल से आभार। कंप्यूटर में तकनीकि व्यवधान के कारण आभार व्यक्त करने में हुए विलम्ब के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2018 at 12:08pm

आदरणीय नीलम उपाध्याय जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभारी है । कंप्यूटर में तकनीकि व्यवधान के कारण आभार व्यक्त करने में हुए विलम्ब के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 31, 2018 at 9:36pm

आ0 सुशील शरण साहब पहला दोहा अतुलनीय । बाकी सभी दोहे मनोहारी लगे । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 31, 2018 at 8:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।बेहतरीन दोहे।

Comment by Samar kabeer on July 31, 2018 at 6:59pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

बन गयी है शूल वो,'---12 मात्रा, यूँ करलें:-

'बनी हुई है शूल वो'

ढाल सके न उसको हम, जीवन का अनुकूल।

इस पंक्ति के विषम चरण में मात्रा 222 हो रही है जबकि 212 होना चाहिए,इसी तरह आगे 'का' की जगह " के" होना चाहिए,यूँ कर लें :-

'ढाल न पाये हम उसे,जीवन के अनुकूल'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service