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आज के दोहे :.....

चरणों में माँ बाप के, सदा नवाओ शीश।
इनमें चारों धाम हैं, इनमें बसते ईश।। १

पथ पथरीला सत्य का , झूठी मीठी छाँव।
माँ के आँचल में मिले ,सच्चे सुख की ठाँव।। २

पग-पग पर घायल करें, पुष्प वेश में शूल।
दर्पण पर विश्वास के, जमी छद्म की धूल।।३

समय सदा रहता नहीं, जीवन के अनुकूल।
एक कदम पर फूल तो , दूजे पर हैं शूल।।४

शादी करके सब कहें, शादी है इक भूल।
जीवन में न संग मिले, जीवन के अनुकूल।।५

सदा लगे वो शूल सी, जो लगती थी फूल।
'ढाल न पाये हम उसे,जीवन के अनुकूल'।।६

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on July 31, 2018 at 6:45pm

जनाब बसंत जी,

जनाब गुमनाम जी,

दो तीन शब्दों की टिप्पणी ओबीओ की परिपाटी नहीं,कृपया रचनाकार को संबोधित करते हुए टिप्पणी दें, यही निवेदन है ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 31, 2018 at 5:21pm
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय  । हार्दिक बधाई आपको  सादर 
Comment by Neelam Upadhyaya on July 31, 2018 at 4:46pm

आदरणीय सुशील सरना जी, सुन्दर  रचना की प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई। 

Comment by Sushil Sarna on July 31, 2018 at 3:16pm

आदरणीय  gumnaam pithoragarhiजी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 31, 2018 at 3:15pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 31, 2018 at 9:40am

बहुत खूब दोहे 

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 31, 2018 at 7:27am

अच्छे दोहे हुए हैं. .. .बधाई ..  .

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