For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भटकना बेहतर (लघुकथा)

कितने ही सालों से भटकती उस रूह ने देखा कि लगभग नौ-दस साल की बच्ची की एक रूह पेड़ के पीछे छिपकर सिसक रही है। उस छोटी सी रूह को यूं रोते देख वह चौंकी और उसके पास जाकर पूछा, "क्यूँ रो रही हो?"

वह छोटी रूह सुबकते हुए बोली, "कोई मेरी बात नहीं सुन पा रहा है… मुझे देख भी नहीं पा रहा। कल से ममा-पापा दोनों बहुत रो रहे हैं… मैं उन्हें चुप भी नहीं करवा पा रही।"

वह रूह समझ गयी कि इस बच्ची की मृत्यु हाल ही में हुई है। उसने उस छोटी रूह से प्यार से कहा, "वे अब तुम्हारी आवाज़ नहीं सुन पाएंगे ना ही देख पाएंगे। तुम्हारा शरीर अब खत्म हो गया है।"

"मतलब मैं मर गयी हूँ!" छोटी रूह आश्चर्य से बोली।

"हाँ। अब तुम्हारा दूसरा जन्म होगा।"

"कब होगा?" छोटी रूह ने उत्सुकता से पूछा।

"पता नहीं...जब ईश्वर चाहेगा तब।"

"आपका…  दूसरा जन्म कब..." तब तक छोटी रूह समझ गयी थी कि वह जिससे बात कर रही है वो भी एक रूह ही है।

"नहीं!! मैं नहीं होने दूंगी अपना कोई जन्म।" सुनते ही रूह उसकी बात काटते हुए तीव्र स्वर में बोली।

"क्यूँ?" छोटी रूह ने डर और आश्चर्यमिश्रित स्वर में पूछा।

"मुझे दहेज के दानवों ने जला दिया था। अब कोई जन्म नहीं लूंगी, रूह ही रहूंगी क्यूंकि रूहों को कोई जला नहीं सकता।" वह रूह अपनी मौत के बारे में कहते हुए सिहर गयी थी।

"फिर मैं भी कभी जन्म नहीं लूँगी।"

"क्यूँ?"

छोटी रूह ने भी सिहरते हुए कहा,

"क्यूंकि रूहों के साथ कोई बलात्कार भी नहीं कर सकता।"

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on October 14, 2018 at 2:14pm

आप सभी आदरणीय सुधीजनों का रचना पर आकर मुझे प्रोत्साहित करने और बेहतर लेखन की राह सुझाने के लिए हृदय से आभारी हूँ। निवेदन है की ऐसे ही स्नेह बनाये रखें। सादर,

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 8:48pm

बहुत ही संवेदनशील लघु कथा लिखी है आपने.. अंतिम पंक्ति जो किसी भी लघु कथा की जान होती है..अपने आप को चरिथार्त कर रही है..बधाई

Comment by vijay nikore on August 25, 2018 at 3:13pm

मन को छूती  भावपूर्ण लघुकथा के लिए बधाई, चंद्रेश जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2018 at 5:58am

आ. चंद्रेश जी, अच्छी कथा हुयी है । बधाई स्वीकारें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 22, 2018 at 1:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी।लाज़वाब लघुकथा।एक बेहतरीन धमाकेदार प्रस्तुति।समाज में बढ़ती महिला अपराधों की संख्या पर करारा प्रहार।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 22, 2018 at 1:32am

शीर्षक पर भी सकारात्मकता लाई जा सकती है न?

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 22, 2018 at 1:31am

हमेशा की तरह समसामयिक बालिका सरोकार, महिला सरोकार की बेहतरीन  सारगर्भित लघुकथा। हार्दिक बधाइयां आदरणीय डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी  साहिब।  विचारोत्तेजक है। किन्तुु अंत सकारात्मक, निदानात्मक नहीं हो 

सका है। सकारात्मक अंत कई बार उपदेशात्मक या आदर्शवादी बन पड़ता. है! यह एक विडम्बना ही है। फिर भी किसी बेहतर अंत के बारे में सोचा जा सकता है मेरे विचार से। सादर।
Comment by Samar kabeer on August 21, 2018 at 6:40pm

जनाब चन्द्रेश जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आपने लघुकथा के अंत में मंच के नियमनुसार मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा?

Comment by Sushil Sarna on August 21, 2018 at 4:53pm

आदरणीय चंद्रेश जी बहुत ही कसी हुई भावपूर्ण लघुकथा का सृजन हुआ है। वार्ता के अंतिम दौर में यूँ तो दोनों की ही पांच लाइनैं प्रभावी बनी हैं मगर बच्ची की पांच लाइन दिल को लगती है। इस सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on August 21, 2018 at 10:24am

आदरणीय चंद्रेश छतलानी जी आदाब,

                             बहुत ही प्रभावोत्पाद और तीव्रता की हद को पार करती लघुकथा । हालाँकि इस तरह की कईं लघुकथाएँ मैं पढ़ चुका हूँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service