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"बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ"

ग़ज़ल

बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ

मैं नफ़रतों का ही क़िस्सा तमाम करता चलूँ

अब आख़िरत का भी कुछ इन्तिज़ाम करता चलूँ

दिल-ओ-ज़मीर को अपने मैं राम करता चलूँ

जहाँ जहाँ से भी गुज़रूँ ये दिल कहे मेरा

तेरा ही ज़िक्र फ़क़त सुब्ह-ओ-शाम करता चलूँ

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ

गुज़रता है जो परेशान मुझको करता है

तेरे ख़याल से कैसे कलाम करता चलूँ

"समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on September 6, 2018 at 3:59pm

मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 6, 2018 at 11:00am

हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब। बहुत लाज़वाब गज़ल।

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ

Comment by amita tiwari on September 5, 2018 at 11:05pm

समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

बेहतरीन  गज़ल,उम्दा ख्याल 

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 6:33pm

संकीर्ण मानसिकता को विस्तार देती बेहतरीन रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Samar kabeer on September 5, 2018 at 3:04pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by नाथ सोनांचली on September 4, 2018 at 9:40pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम।

बहुत दिनों से है बाक़ी ये काम करता चलूँ

मैं नफ़रतों का ही क़िस्सा तमाम करता चलूँ

वाह वाह, बेहतरीन मतला,

अब आख़िरत का भी कुछ इन्तिज़ाम करता चलूँ

दिल-ओ-ज़मीर को अपने मैं राम करता चलूँ

ग़ज़ज़्ब का हुश्ने मतला

अमीर हो कि वो मुफ़लिस,बड़ा हो या छोटा

मिले जो राह में उसको सलाम करता चलूँ

वाह, एक और कामयाब शैर।

समर"हयात का मक़सद बना लिया है यही

चलन वफ़ा का ज़माने में आम करता चलूँ

बहुत खूब.....

एक एक शैर क्या कहूँ, पूरी ग़ज़ल नायाब तुहफा है हम सभी के लिए। दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

Comment by Samar kabeer on September 4, 2018 at 2:20pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on September 4, 2018 at 2:19pm

जनाब अजय तिवारी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on September 4, 2018 at 2:17pm

जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,सुख़न नवज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on September 4, 2018 at 2:16pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

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