For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षक दिवस के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

शिक्षक दिवस के दोहे


बनते शिष्य महान तब, शिक्षक अगर महान
शिक्षक बिन हर इक रहा, अधकचरा इन्सान।१।


जिसने जीवन  भर किया, शिक्षक  का सम्मान
जग ने उसका  है  किया, इत उत  बड़ा बखान।२।


शिक्षक थोड़ा  सा  अगर,  दे  दे जो उत्साह
भटका बालक चल पड़े, सदा सत्य की राह।३।


पथ की बाधा नित हरी, जिसने राह बुहार
दे थोड़ा सा मान कर, शिक्षक का आभार।४।


करके विद्या दान दी, जीने की हर सीख
उसके ही आभार को, आती यह तारीख।५। 


शिक्षक बनकर जो जिये, जग में वही महान
नौकर बनके  जो  रहे, उनका  क्या  सम्मान।६।


सद्गुण सद्व्यवहार की, पायी  सीख अपार
अपनाकर  व्यवहार  में, दें  उनको  उपहार।७।


करते विद्या दान जो, धन का तज कर मोह
उनके पीछे  चल करो, पार तमस की खोह।८।


सदा नसीहत  ज्ञान से, जो  दिखलाते राह
मरकर भी पाते सदा, जग में मान अथाह।९।


दीपक सा  जल  जो सदा, देता  ज्ञान प्रकाश 
धरती से आकाश तक, उनका यश अविनाश।१०।


मौलिक अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 7, 2018 at 11:58am

अच्छा बदलाव किया आपने,5वें दोहे में भी बदलाव की आवश्यकता है,देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2018 at 11:07am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2018 at 11:05am

आ. भाई सुरेंद्र जी, दोहों की प्रशंसा के लिए धन्यवाद । सुझावानुरूप बदलाव किया है देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2018 at 11:03am

आ. बबीता जी, दोहों का मान बढ़ाने के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2018 at 11:02am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार । कुछ बदलाव किये हैं देखियेगा ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 6, 2018 at 11:21am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"जी। शिक्षक दिवस पर बेहतरीन दोहे प्रस्तुत किये हैं।जीवन में शिक्षक की महत्ता को बड़ी खूबी से वर्णन किया है।

सदा नसीहत  ज्ञान से, जो  दिखलाते राह
मरकर भी पाते सदा, जग में मान अथाह।९।

Comment by नाथ सोनांचली on September 5, 2018 at 6:25pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। शिक्षक दिवस पर बेहतरीन दोहे सृजित किये आपने, बधाई स्वीकार कीजिये।

प्रकाश की तुकांतता आकाश उचित नहीं, ठीक इसी तरह सम्मान का मान भी उचित नहीं। गौर कीजयेगा।

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 5:43pm

शिक्षक की महानता का वर्णन दोहों द्वारा किया गया ,बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय लक्ष्मण सरजी।

Comment by Samar kabeer on September 5, 2018 at 3:00pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,शिक्षक दिवस पर सार्थक दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

दूसरे दोहे में 'सम्मान' और 'मान' की तुकान्तता सहीह है क्या?

तीसरे दोहे में //जो  दे  दे उत्साह// को "देदे जो उत्साह" करना उचित होगा ।

//पथ की बाँधा नित हरी//

इस पंक्ति में 'बाँधा' या "बाधा"?

//करके विद्या दान दी, जीने की हर सीख
उसके ही आभार को, आती यह तारीख//

इस दोहे में 'सीख'  और "तारीख़"की तुकान्तता उचित नहीं,ग़ोर कीजियेगा ।

दसवें दोहे में 'प्रकाश' और 'आकाश' की तुकान्तता सहीह है क्या ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
9 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
9 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service