For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औक़ात - लघुकथा –

"सलमा, यह किसके बच्चे को लेकर जा रही हो"।

"चचाजान, आप पहचान नहीं पाये इन्हें, अपने अर्जुन हैं"।

"अरे वाह, बहुत बड़े हो गये। पर इनको यह क्या पोशाक डाल रखी है"।

"इनको एक सीरियल में कान्हा का किरदार करना है। उसी के लिये लेकर जा रही हूँ"।

"बहुत खूब, संभल कर जाना"।

अभी सलमा चार क़दम ही चली थी कि एक कट्टरपंथी ग्रुप ने उसे घेर लिया। उसे बच्चा चोर बताकर पुलिस थाने ले गये।

 "दरोगा जी,बड़ा तगड़ा केस लाये  हैं,आज तो आपके दोनों हाथों में लड्डू हैं"।

दरोगा जी ने प्रति उत्तर में अपनी पान के रंग से सनी बत्तीसी दिखा दी।

दरोगा जी  बहुत ही अड़ियल किस्म के इंसान थे। सलमा की कोई बात सुनने को राजी ही नहीं थे। उल्टे सीधे सवाल दाग रहे थे। कोई फोन भी नहीं करने दे रहे थे। सलमा को बड़ी ही ललचायी नज़रों से ताक़ रहे थे।

जैसे ही थाने से भीड़ भाड़ निकली, दरोगा जी औक़ात पर आ गये। सलमा के साथ सीधे सीधे सौदेबाजी पर उतर आये।

"देखिये, मैं एक विधवा औरत हूँ। मेरे लिये यह सब सोचना भी गुनाह है"।

"तो फिर कोर्ट कचहरी और वकीलों के चक्कर काटती रहना। वहाँ तो और भी बड़े समझौते करने पड़ेंगे"।

उधर जब सलमा बच्चे के साथ सैट पर शूटिंग के लिये नहीं पहुंची तो यूनिट वालों ने सलमा के घर फोन किया।

कुछ ही देर में एक फ़ौज़ी जीप थाने पहुँची। फ़ौज़ी अधिकारी ने थानेदार को बताया कि ये शहीद मेजर  विजय सिंह की विधवा हैं। इन लोगों ने कोर्ट मेरिज की थी।

 दरोगा जी की नज़रें अभी भी सलमा के इर्द गिर्द ही घूम रही थीं।

"मैडम, मेरे मन में एक सवाल घूम रहा है"।

"आपके मन की ये मुराद भी पूरी कर लीजिये। मन हल्का हो जायेगा"।

"आपने एक हिंदू फ़ौज़ी अफ़सर से शादी कर ली तो फिर यह बुर्का क्यों नहीं छोड़ा"?

"छोड़ दिया था दरोगा जी। लेकिन पति की शहादत के बाद फिर अपनाना पड़ा"।

“क्या फिर अपने धर्म में वापस जाने के लिये"।

"नहीं ज़नाब, यह तो मुमकिन ही नहीं है"।

"तो फिर क्या वज़ह थी"।

"आप जैसे भेड़ियों की गंदी नज़रों से एक विधवा औरत की आबरू बचाने के लिये"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 819

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on September 14, 2018 at 4:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 13, 2018 at 8:34pm

"आप जैसे भेड़ियों की गंदी नज़रों से एक विधवा औरत की आबरू बचाने के लिये"।

आदरणीय तेजवीर सिंह जी,पूरी कथा का सार आपने इन पंक्तियों में भर दिया... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति सादर!

Comment by TEJ VEER SINGH on September 11, 2018 at 11:59am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 11, 2018 at 11:58am

हार्दिक आभार आदरणीय विनय कुमार जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 10, 2018 at 8:37pm

अंत की पंक्ति आते आते कहानी बहुत बड़ी कहानी बन गई। बहुत बहुत बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी , सादर।

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:12pm

बहुत बढ़िया और प्रभावी लघुकथा लिखी है आपने आ तेज वीर सिंह जी, बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2018 at 9:26am

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।

Comment by Samar kabeer on September 9, 2018 at 8:03pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 9, 2018 at 10:51am

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by babitagupta on September 8, 2018 at 10:43pm

सामाजिक,मानसिक कुप्रवृति की यथार्थता का चित्रण करती रचना,हार्दिक  स्वीकार  आदरणीय तेजवीर सरजी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service