For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बन के सूरज सा जमाने में निकलते रहिये-रामबली गुप्ता

ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

बन के' सूरज सा' जमाने में' निकलते रहिये
हर अँधेरे को' उजाले मे' बदलते रहिये

जिंदगी एक सफर खुशियों' भरा हो अपना
यूँ ही बस आप मेरे साथ तो चलते रहिये

दिल के' मन्दिर में उजाले की' वज़ह आप ही हैं
अब तो इस दिल में' सदा दीप सा' जलते रहिये

मैं जो' हूँ साथ जमाने से' भला डर कैसा
हो के मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये

मेरे' हर गीत-ग़ज़ल-नज़्म-तरानों में' यूँ ही
बन के' नित शब्द नये प्यार के ढलते रहिये

दिल की बगिया में बहारों के सुमन मुस्काएँ
इसमें बस आप सुबह शाम टहलते रहिये

लूटते चैनो-अमन जो भी वतन का साहिब!
ऐसे' साँपो के' उठे फन को' कुचलते रहिये

रचना-रामबली गुप्ता

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on September 19, 2018 at 4:15pm

आदरणीय रामबली जी, अच्छे अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2018 at 12:51pm

आ. भाई रामबली जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधायी ।

Comment by Samar kabeer on September 18, 2018 at 12:30pm

आपसे टेलीफोन पर बात करने के बाद अब ये शैर यूँ कर सकते हैं:-

"ज़िन्दगी का ये सफ़र ख़ुशियों से भर जायेगा

मेरे हमराह रह-ए-इश्क़ पे चलते रहिये "

Comment by Samar kabeer on September 18, 2018 at 11:26am

'जिंदगी एक सफर खुशियों' भरा हो अपना
यूँ ही बस आप मेरे साथ तो चलते रहिये'

इस शैर को यूँ कर सकते हैं:-

'ज़िन्दगी का ये सफ़र ख़ुशियों भरा हो अपना

यूँ ही बस आप मेरे साथ में चलते रहिये'

'मैं जो' हूँ साथ जमाने से' भला डर कैसा'

इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'साथ हूँ मैं तो ज़माने का भला डर कैसा'

'इसमें बस आप सुबह शाम टहलते रहिये'

इस मिसरे में सहीह शब्द है "सुब्ह",इसे यूँ कर सकते हैं :-

'सुब्ह से शाम तलक आप टहलते रहिये'

'लूटते चैनो-अमन जो भी वतन का साहिब!
ऐसे' साँपो के' उठे फन को' कुचलते रहिये'

इस शैर के ऊला मिसरे में सहीह शब्द "अम्न" है, इसे यूँ कर सकते हैं:-

'लूटते अम्न वतन का जो हमेशा साहिब'

और सानी मिसरे में 'साँपो' को "साँपों" कर लें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 18, 2018 at 9:01am

अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय...

Comment by रामबली गुप्ता on September 17, 2018 at 1:03pm

सादर प्रणाम आदरणीय समर भाई साहब। कौन-कौन से मिसरे कमजोर हैं थोड़ा इंगित करें और संशोधन के लिए सुझाव दें। बेहतर की हमेशा गुंजाइश है। मैं आपके कहे अनुसार प्रयास करूँगा।सादर

Comment by रामबली गुप्ता on September 17, 2018 at 12:59pm

सादर आभार आदरणीय भाई बसंत कुमार जी 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 17, 2018 at 9:36am

आदरणीय रामबली गुप्ता जी, शुभ प्रभात,  बहुत खूब गजल कही आपने 

Comment by Samar kabeer on September 16, 2018 at 6:10pm

जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

कुछ मिसरों पर थोड़ा और समय देते तो ग़ज़ल और निखर जाती ।

Comment by रामबली गुप्ता on September 15, 2018 at 5:57pm

हृदय से आभार आदरणीय मित्र सुरेन्द्रनाथ सिंह जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service