बेज़ुबान पहचान ...
कितनी खामोशी होती है
कब्रिस्तान में
जिस्मों की मानिंद
कब्रों पर लिखे नाम भी
वक्त के थपेड़ों से
धीरे -धीरे
सुपुर्द-ए-ख़ाक हो जाते हैं
रह जाती है
कब्रों पर
उगी घास के नीचे
ख़ामोशी की कबा में सोयी
अपने -पराये रिश्तों की
बेज़ुबान पहचान
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
बेहतरीन रचना आदरणीय सुशील सरना जी ...गागर में सागर हार्दिक बधाई सादर
झुब सुन्दर रचना सर
आदरणीय सुशील सरना जी बहुत सुंदर पंक्तियाँ सृजित करके आपने मन मोह लिया बधाई हो
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , सर सृजन को अपनी स्नेहाशीष से अलंकृत करने का दिल से शुक्रिया।
आ. भाई सुशील जी, बेहतरीन रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सच्ची और सुंदर कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online