For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*शरद-पूर्णिमा*- कविता/ अर्पणा शर्मा, भोपाल

 अंबर और धरणी पर आज,

शारदीय चाँदनी रात खिली,

पूनो का चाँद लेकर आई,

तारों की बारात खिली,

कार्तिक पुरवाई बहे,

मीठी-मीठी ठंड़ खिली ,

चमेली,चंपा, जूही से महके,

सपनों की सौगात खिली,

शुभ्र चमके निहारिका ये ,

दृश्यमान है गात खिली,

गोकुल रास रचाएँ कान्हा,

वंशी की मधुरम तान खिली,

गोपियाँ-राधा झूमें-नाचें,

रक्तिम अधरों पर मुस्कान खिली,

दुग्ध-खीर नैवेद्य है अर्पित,

चंद्र बरसाए अमृत सारा,

शीतल-ओजस चंद्रप्रभा है,

सौख्य-पूरित अज्रस्त्र धारा,

धवल ज्योत्सना में दमकती,

धरा निर्मल-सद्स्नात खिली,

अंबर और धरणी पर आज,

शारदीय चाँदनी रात खिली. 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

सभी को शरद-पूर्णिमा की सादर शुभकामनाएँ।

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 28, 2018 at 8:46am

आदरणीया अर्पणा शर्मा जी गहन सोच को धार देती हुई जबरदस्त रचना के लिए हार्दिक बधाई, रामबली जी की बातों को गौर करें रचना में चार चाँद लग जाएगी

Comment by vijay nikore on October 28, 2018 at 1:30am

आपकी रचना अच्छी लगी। बधाई आदरणीया अर्पणा जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 8:03pm

भावपूर्ण रचना है आदरणीया बधाई..आदरणीय रामबली जी ने अच्छी बात कही।

Comment by रामबली गुप्ता on October 26, 2018 at 5:31pm

आदरणीया अर्पणा जी सुंदर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।

किन्तु आपके इस प्रयास पर मात्र बधाई देकर चले जाना मुझे उचित नहीं लगता। यह आवश्यक और ओ बी ओ की परंपरा है कि गुणीजन रचना की कमी बेसी से रचनाकार को अवगत करायें। आपकी रचना में सुंदर भावों का समावेश है किंतु गेयता और प्रवाह की भारी कमी है। इसके लिए आपको शब्द-कलों के समुचित प्रयोग एवं पदों में सुनिश्चित मात्रा बंधन/संयोजन को ठीक प्रकार समझना होगा। कविता लिखते समय आप किसी निश्चित छंद को आधार बना सकती हैं या पदों को किसी निश्चित मात्रा भार में बाँध सकती हैं। साथ ही शब्दों को इस प्रकार रखें कि सममात्रिकता बनी रहे। ऐसा करने से ली नही बिगड़ेगी। जैसे त्रिकल शब्द के बाद त्रिकल या द्विकल के बाद द्विकल या चौकल शब्द रखें।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 26, 2018 at 1:18pm

आ0 रचना का सुन्दर प्रयास मेरे विचार से 

चाँद पूनम का होता है ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 26, 2018 at 12:02am

सुंदर प्रस्तुति आदरणीया अर्पणा जी | हार्दिक बधाई |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 4:41pm

आ. अपर्णा जी, सुंदर रचना हुयी है ।हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on October 25, 2018 at 4:02pm

मुहतरमा अर्पणा शर्स जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service