अंबर और धरणी पर आज,
शारदीय चाँदनी रात खिली,
पूनो का चाँद लेकर आई,
तारों की बारात खिली,
कार्तिक पुरवाई बहे,
मीठी-मीठी ठंड़ खिली ,
चमेली,चंपा, जूही से महके,
सपनों की सौगात खिली,
शुभ्र चमके निहारिका ये ,
दृश्यमान है गात खिली,
गोकुल रास रचाएँ कान्हा,
वंशी की मधुरम तान खिली,
गोपियाँ-राधा झूमें-नाचें,
रक्तिम अधरों पर मुस्कान खिली,
दुग्ध-खीर नैवेद्य है अर्पित,
चंद्र बरसाए अमृत सारा,
शीतल-ओजस चंद्रप्रभा है,
सौख्य-पूरित अज्रस्त्र धारा,
धवल ज्योत्सना में दमकती,
धरा निर्मल-सद्स्नात खिली,
अंबर और धरणी पर आज,
शारदीय चाँदनी रात खिली.
मौलिक एवं अप्रकाशित
सभी को शरद-पूर्णिमा की सादर शुभकामनाएँ।
Comment
आदरणीया अर्पणा शर्मा जी गहन सोच को धार देती हुई जबरदस्त रचना के लिए हार्दिक बधाई, रामबली जी की बातों को गौर करें रचना में चार चाँद लग जाएगी
आपकी रचना अच्छी लगी। बधाई आदरणीया अर्पणा जी।
भावपूर्ण रचना है आदरणीया बधाई..आदरणीय रामबली जी ने अच्छी बात कही।
आदरणीया अर्पणा जी सुंदर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।
किन्तु आपके इस प्रयास पर मात्र बधाई देकर चले जाना मुझे उचित नहीं लगता। यह आवश्यक और ओ बी ओ की परंपरा है कि गुणीजन रचना की कमी बेसी से रचनाकार को अवगत करायें। आपकी रचना में सुंदर भावों का समावेश है किंतु गेयता और प्रवाह की भारी कमी है। इसके लिए आपको शब्द-कलों के समुचित प्रयोग एवं पदों में सुनिश्चित मात्रा बंधन/संयोजन को ठीक प्रकार समझना होगा। कविता लिखते समय आप किसी निश्चित छंद को आधार बना सकती हैं या पदों को किसी निश्चित मात्रा भार में बाँध सकती हैं। साथ ही शब्दों को इस प्रकार रखें कि सममात्रिकता बनी रहे। ऐसा करने से ली नही बिगड़ेगी। जैसे त्रिकल शब्द के बाद त्रिकल या द्विकल के बाद द्विकल या चौकल शब्द रखें।
आ0 रचना का सुन्दर प्रयास मेरे विचार से
चाँद पूनम का होता है ।
सुंदर प्रस्तुति आदरणीया अर्पणा जी | हार्दिक बधाई |
आ. अपर्णा जी, सुंदर रचना हुयी है ।हार्दिक बधाई ।
मुहतरमा अर्पणा शर्स जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
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