For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमेशा तो नहीं होती बुरी तकरार की बातें(ग़ज़ल)

1222 1222 1222 1222


हमेशा तो नहीं होती बुरी तकरार की बातें
इसी तकरार से अक्सर निकलतीं  प्यार की बातें।

नज़र मंजिल पे रक्खो तुम बढ़ाओ फिर कदम आगे
नहीं अच्छी लगा करतीं हमेेशा हार की बातें।

अँधेरे में चरागों-सा उजाला इनसे मिल जाता
गुनी जाएं तज्रिबे  के  सही गर सार की बातें।

अलग हैं रास्ते चाहे है मंजिल एक पर सबकी
जो ढूंढें खोट औरों में करे वो रार की बातें।

सँभलने का, समझने का, सलीका आ यूँ जाता है
कि खुद की गलतियों के जो करें इकरार की बातें।

समझना चाहते हो मोल खुशबू का कहीं दिलबर
सुनो तुम ध्यान से पहले वहाँ के ख़ार की बातें।

तज्रिबा:अनुभव

मौलिक अप्रकाशित

Views: 860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 11, 2018 at 5:08pm

आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 11, 2018 at 12:08am

आदरणीय अजय तिवारी जी, आदरणीय बृजेश भाई जी सादर आभार सह नमन उत्साहवर्धन के लिए

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 9, 2018 at 10:06am

वाह आदरणीय सतविंद्र जी उम्दा ग़ज़ल कही..

Comment by Ajay Tiwari on November 8, 2018 at 8:35pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 6:12pm

आदरणीय समर कबीर जी सादर वन्दे। मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। यथोचित परिष्कार कर लिया गया है।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 6:11pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमन! हौसलाफ़ज़ाई के लिए तहे दिल शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2018 at 6:10pm

आदरणीय राज़ नदादवी जी सादर नमन, हौसलाफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on November 7, 2018 at 11:55am

// माननीय मद्दाह अपने शब्दकोश में मूल शब्द /तज्रिब:/ तज्रिबा बताते हैं व् इसका बहुवचन तज्रिबात ही लेेकीन साथ ही / तजुुर्बा या तज्रबा/ को भी //

सहीह तज्रिबा/तज्रिबात ही है ।

'इसी तकरार से अक्सर निकलती प्यार की बातें।'

"निकलतीं" ।

' नहीं अच्छी लगा करती हमेशा हार की बातें'

"करतीं" ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 7, 2018 at 10:48am

आ. भाई सतविंद्र जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by राज़ नवादवी on November 7, 2018 at 10:32am

आदरणीय सतविंदर कुमार राणा जी, आदाब. अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service