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बे-हया निशानी .....

बे-हया निशानी .....

हिज़्र की रातों में
तन्हा बरसातों में
खामोश बातों में
अश्कों की सौगातों में
मेरे नफ़्स में
साँसों के क़फ़स में
चांदनी बन कसमसाती
धड़कनों से बतियाती
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो

बारिशों के पानी में
प्यासी कहानी में
नादान जवानी में
लहरों की रवानी में
अंगड़ाई की बेचैनी में
लबों की निशानी में
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो

निग़ाहों के इशारों में
मदमस्त बहारों में
अर्श के सितारों में
बेहिजाब नज़रों मेंं
रुखसार के अंगारों में
शुआओं के उजालों में
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो


बे-हया निशानी में
करवट-ए-बेज़ुबानी में
ज़िस्म-ए-मेहरबानी में
महफ़िल-ए -कद्रदानी में
निशानी की कहानी में
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:29pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:27pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:27pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन भावों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा एवं महीन सुझावों का दिल से आभार। मैं अभी संशोधित करता हूँ सर। तहे दिल से आपका शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 27, 2018 at 7:20pm

वाह आदरणीय..बेहतरीन कविता

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2018 at 7:57pm

आ. भाई सुशील जी अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by PHOOL SINGH on December 24, 2018 at 2:47pm

सर, कहा से लाते हो इतने सूंदर शब्द बहुत ही सूंदर बधाई स्वीकारें

Comment by Samar kabeer on December 23, 2018 at 8:45pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

मेरी नफ़स में'---"मेरे नफ़्स में" 

' साँसों की कफ़स में'--"साँसों के क़फ़स में"

' बेहज़ाब नज़ारों में'--"बेहिजाब नज़रों मेंं"

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"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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