For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बे-हया निशानी .....

बे-हया निशानी .....

हिज़्र की रातों में
तन्हा बरसातों में
खामोश बातों में
अश्कों की सौगातों में
मेरे नफ़्स में
साँसों के क़फ़स में
चांदनी बन कसमसाती
धड़कनों से बतियाती
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो

बारिशों के पानी में
प्यासी कहानी में
नादान जवानी में
लहरों की रवानी में
अंगड़ाई की बेचैनी में
लबों की निशानी में
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो

निग़ाहों के इशारों में
मदमस्त बहारों में
अर्श के सितारों में
बेहिजाब नज़रों मेंं
रुखसार के अंगारों में
शुआओं के उजालों में
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो


बे-हया निशानी में
करवट-ए-बेज़ुबानी में
ज़िस्म-ए-मेहरबानी में
महफ़िल-ए -कद्रदानी में
निशानी की कहानी में
सच, ओर कोई नहीं
सिर्फ, तुम ही तुम हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:29pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:27pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2018 at 4:27pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन भावों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा एवं महीन सुझावों का दिल से आभार। मैं अभी संशोधित करता हूँ सर। तहे दिल से आपका शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 27, 2018 at 7:20pm

वाह आदरणीय..बेहतरीन कविता

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2018 at 7:57pm

आ. भाई सुशील जी अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by PHOOL SINGH on December 24, 2018 at 2:47pm

सर, कहा से लाते हो इतने सूंदर शब्द बहुत ही सूंदर बधाई स्वीकारें

Comment by Samar kabeer on December 23, 2018 at 8:45pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

मेरी नफ़स में'---"मेरे नफ़्स में" 

' साँसों की कफ़स में'--"साँसों के क़फ़स में"

' बेहज़ाब नज़ारों में'--"बेहिजाब नज़रों मेंं"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ग़ज़ल आ गया है वक्त अब सबको बदलना चाहिये। मेहनत से जिन्दगी में रंग भरना चाहिये। -मेहनतकश की नहीं…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"अभी तो तात्कालिक सरल हल यही है कि इसी ग़ज़ल के किसी भी अन्य शेर की द्वितीय पंक्ति को गिरह के शेर…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. तिलकराज सर, मैंने ग़ज़ल की बारीकियां इसी मंच से और आप की कक्षा से ही सीखीं हैं। बहुत विनम्रता के…"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत बहुत आभार आपका ,ये प्रश्न मेरे मन में भी थे  सादर "
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे को लेकर एम प्रश्न यह आया कि ग़ज़ल के मत्ले को देखें तो क़ाफ़िया…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। 6 शेर के लिए आपका सुझाव अच्छा…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन।गजल आपको अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 **** रात से मिलने को  दिन  तो यार ढलना चाहिए खुशनुमा हो चाँद को फिर से…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service