दोहा संकलन :
नैन करें अठखेलियाँ, स्पर्श करें संवाद।
बाहुबंध में हो गए, अंतस के अनुवाद।१ ।
नैन शरों के घाव का ,अधर करें उपचार।
श्वास-श्वास में खो गयी,स्पर्श हुए साकार।२ ।
नैन विरह में प्रीत के ,बरसे सारी रात।
गूँगे स्वर करते रहे, मौन पलों से बात।३ ।
अद्भुत पहले प्यार का, होता है आनंद।
देह-देह में रागिनीं , श्वास -श्वास मकरंद।४ ।
केशों में जूही सजे , महके हरसिंगार।
नैनों की हाला करे, रिन्दों का सत्कार ।५ ।
दिल से दिल की कीजिये, निजी पलों में बात।
बीत न जाए व्यर्थ के, संवादों में रात।६ ।
अर्थ निरर्थक हो गए, व्यर्थ हुए सब भाव।
मेघा बन रिसने लगे, मधुपल बन कर घाव।७ ।
पुष्प सुवासित सेज भी, दिल को लगती व्यर्थ।
बिन साजन शृंगार भी, खो देता है अर्थ।८ ।
भीगी-भीगी जब चले, मस्ती भरी बयार।
कैसे विस्मृत हो भला, वो सावन का प्यार।९ ।
मद से बढ़ती अंधता, धन से बिगड़े चाल।
बिना रूप शृंगार के , दर्पण भी कंगाल।१० ।
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर प्रणाम , सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आभार व्यक्त करने में हुए विलम्ब के लिए क्षमा।
नैन करें अठखेलियाँ, स्पर्श करें संवाद।
बाहुबंध में हो गए, अंतस के अनुवाद।१ ।-------------बहुत खूब सरना जी I
आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन बहुत ही आकर्षक दोहावली के लिए बहुत बहुत बधाई
आदरणीय फूल सिंह जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।
बहुत ही सूंदर तरीके से फ़िरोही गई दोहावली बधाई स्वीकारे
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
खूब सुन्दर दोहावली
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