कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है
मनोकामना सम्भव है पर , अच्छी हो सबकी ख़ातिर |
***
लिखा नियति ने जो इस पर है निर्भर क्या हो अगले पल |
कृपा बरस जाये प्रभु की या जीवन से हो जाये छल |
लेकिन अच्छा सोचोगे तो होगा जीवन में अच्छा
बुरा अगर सोचा तो वैसा सम्भव है हो जाये कल |
ज्योतिष-ज्ञान सभी की ख़ातिर रखना शायद मुश्किल है
सदा प्रार्थना सम्भव है पर, अच्छी हो सबकी ख़ातिर |
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कैसा होगा नया साल यह......
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क्या आतंकी नए साल में मंशा अपनी छोड़ेंगे ?
क्या नेता भड़काने वाली माला जपनी छोड़ेंगे ?
क्या दुश्मन कोई छोड़ेगा अपनी चालों को चलना
क्या निर्धन भी आग ठण्ड में सारे तपनी छोड़ेंगे ?
लगता है आगत में ऐसा होना शायद मुश्किल है
ईश ! याचना सम्भव है पर, अच्छी हो सबकी ख़ातिर |
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कैसा होगा नया साल यह......
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नव संकल्प किये जाते हैं साल नए जब जब आते |
यह भी देखा लोग अधिकतर इसी काम में जुट जाते |
छोड़ दिए जाते ज्यादातर साल गुजरने से पहले
ऐसे क्यों संकल्प करें हम पूर्ण नहीं जो हो पाते |
बिन संकल्प मगर लोगों का रहना शायद मुश्किल है
मित्र ! भावना सम्भव है पर, अच्छी हो सबकी ख़ातिर |
***
कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है
मनोकामना सम्भव है पर , अच्छी हो सबकी ख़ातिर |
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
०१/०१/२०१९
( मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है
मनोकामना सम्भव है पर , अच्छी हो सबकी ख़ातिर |
इस बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी. सादर.
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी ,
हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका।
आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब ,रचना पर आपके उद्गार पढ़कर मन प्रसन्न हुआ | सादर आभार |
आद0 गिरधारी सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढिया गीत रचा आपने। बधाई स्वीकार कीजिये
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,नववर्ष पर अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
भाई राज़ नवादवी जी ,आदाब और नव वर्ष की हार्दिक बधाई | रचना की सराहना कर उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार | आग तापना होता है वैसे तो सही वाक्य | मैंने सिर्फ आग को स्त्रीलिंग मानते हुए केवल तुक मिलाने के लिए तपनी का प्रयोग किया है और कोई शब्द मिल नहीं रहा था | हिंदी में कवि इतनी छूट ले लेते हैं | इशारा तो ये है कि नए साल में क्या गरीबी मिट पाएगी ?
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