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कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है ......... (८ )

कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है 
मनोकामना सम्भव है पर , अच्छी हो सबकी ख़ातिर | 
***
लिखा नियति ने जो इस पर है निर्भर क्या हो अगले पल | 
कृपा बरस जाये प्रभु की या जीवन से हो जाये छल | 
लेकिन अच्छा सोचोगे तो होगा जीवन में अच्छा 
बुरा अगर सोचा तो वैसा सम्भव है हो जाये कल | 
ज्योतिष-ज्ञान सभी की ख़ातिर रखना शायद मुश्किल है 
सदा प्रार्थना सम्भव है पर, अच्छी हो सबकी ख़ातिर | 
***
कैसा होगा नया साल यह......
***
क्या आतंकी नए साल में मंशा अपनी छोड़ेंगे ?
क्या नेता भड़काने वाली माला जपनी छोड़ेंगे ?
क्या दुश्मन कोई छोड़ेगा अपनी चालों को चलना 
क्या निर्धन भी आग ठण्ड में सारे तपनी छोड़ेंगे ?
लगता है आगत में ऐसा होना शायद मुश्किल है 
ईश ! याचना सम्भव है पर, अच्छी हो सबकी ख़ातिर | 
***
कैसा होगा नया साल यह......
***
नव संकल्प किये जाते हैं साल नए जब जब आते | 
यह भी देखा लोग अधिकतर इसी काम में जुट जाते | 
छोड़ दिए जाते ज्यादातर साल गुजरने से पहले 
ऐसे क्यों संकल्प करें हम पूर्ण नहीं जो हो पाते | 
बिन संकल्प मगर लोगों का रहना शायद मुश्किल है 
मित्र ! भावना सम्भव है पर, अच्छी हो सबकी ख़ातिर | 
***
कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है 
मनोकामना सम्भव है पर , अच्छी हो सबकी ख़ातिर | 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी 
०१/०१/२०१९

( मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 4, 2019 at 8:56pm
Comment by Mahendra Kumar on January 4, 2019 at 7:37pm

कैसा होगा नया साल यह, कहना शायद मुश्किल है 
मनोकामना सम्भव है पर , अच्छी हो सबकी ख़ातिर | 

इस बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी. सादर.

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 2, 2019 at 3:48pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी ,

हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 2, 2019 at 3:48pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब ,रचना पर आपके उद्गार पढ़कर मन प्रसन्न हुआ | सादर आभार | 

Comment by नाथ सोनांचली on January 2, 2019 at 3:20pm

आद0 गिरधारी सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढिया गीत रचा आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on January 2, 2019 at 2:53pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,नववर्ष पर अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 2, 2019 at 1:42pm

भाई राज़ नवादवी जी ,आदाब और नव वर्ष की हार्दिक बधाई | रचना की सराहना कर उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार | आग तापना होता है वैसे तो सही वाक्य | मैंने सिर्फ आग को स्त्रीलिंग मानते हुए केवल तुक मिलाने के लिए तपनी का प्रयोग किया है और कोई शब्द मिल नहीं रहा था | हिंदी में कवि इतनी छूट ले लेते हैं | इशारा तो ये है कि नए साल में क्या गरीबी मिट पाएगी ? 

Comment by राज़ नवादवी on January 2, 2019 at 1:19pm

आदरणीय  गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत साहब, नमस्कार. नववर्ष पर सुन्दर कविता की प्रस्तुति पे बधाईयाँ, बहुत सुन्दर लिखा आपने. कृपया इसे देख लें- 

'क्या निर्धन भी आग ठण्ड में सारे तपनी छोड़ेंगे'. मेरी जानकारी के अनुसार सही पदावलि होगी-

क्या निर्धन भी आग ठण्ड में सारे तपना छोड़ेंगे ?

सादर 

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