For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रस्तुत है कुछ पुच्छल दोहे 
=====================

प्रेम और उत्साह जब ,पैदा करें तरंग | 
छोड़ कुसुम के तीर तब , विहँसे तनिक अनंग || 
मिलन का क्षण ही ऐसा | 
***
देश प्रेम की हर समय ,उठती रहे हिलोर | 
उन्नति की फिर देश में ,निश्चित होगी भोर || 
यही हो लक्ष्य हमेशा | 
***
ह्रदय सभी के आ सकें ,थोड़े से भी पास | 
फिर निश्चित इस देश में ,छा जाये उल्लास || 
यत्न सब कर के देखें | 
***
एक रहें उत्साह रख , छोड़ दिलों के भेद | 
कर सकते हम मिल सभी ,आसमान में छेद || 
एकता में ही बल है | 
***
मन उमंग तन हो चपल ,यौवन के संकेत | 
सावधान अब काम का , जगने वाला प्रेत || 
शीघ्र फिर शांत न होगा |
***
प्रेम प्यार उल्फत सभी ,एक शब्द पर्याय | 
जिसके जीवन में नहीं ,बदकिस्मत कहलाय || 
हाथ की बदलें रेखा | 
***
इच्छा प्रभु की हो अगर , उपजे प्रीत प्रगाढ़ | 
वह चाहे तो प्रेम की , आ सकती है बाढ़ || 
एक बादल है काफी | 
***
मित्र करे तो मित्रता ,मीत करे तो प्यार | 
बहन करे तो स्नेह है ,माँ जब करे दुलार || 
प्रीत के रंग कई हैं | 
***
राधा-कान्हा प्रेम की , सुन्दर एक मिसाल | 
पढ़ सुन कर इनकी कथा ,होता जगत निहाल ||
बहुत रस आता भैया | 
***
कह 'तुरंत' जिसने किया , प्रेम सुधा का पान | 
रहता उसको है कहाँ ,जीव जगत का भान || 
सुरा यह पीकर देखो | 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 7, 2019 at 4:28pm

आदरणीय  Samar kabee जी ,सर्वप्रथम तो दोहों की सराहना के लिए हार्दिक आभार एवं सादर नमन |  आप का ध्यान सही जगह गया है | और आपने पढ़ा भी ठीक ही है मैंने चपल-ता ही लिखा है | हिंदी में मात्रा गणना १११२ इस प्रकार से की जाती है | मैंने यही सोच कर इसे चप ल-ता ही पढ़ा | किंतु मुझे आपकी बात सही लगी | वस्तुतः हम अपनी मर्ज़ी से पढ़ सकते हैं लेकिन लय के हिसाब से उर्दू का फार्मूला ही सही बैठता है |हालाँकि हिंदी के कई विद्वान मात्रा गणना करते समय लघु लघु लघु को अलग मानकर करते हैं | जैसे समर =१२ और २१ दोनों ले लेते हैं जबकि लय के हिसाब से स-मर अधिक ठीक  लगता है | आपके निर्देश के अनुसार १२२ ही इसका सही वजन है | इसलिए इस पंक्ति को इस प्रकार परिवर्तित कर रहा हूँ -मन उमंग तन हो चपल ,यौवन के संकेत | पुनः आभार | कृपया इसी प्रकार स्नेह बनाये रखें | 

Comment by Samar kabeer on January 7, 2019 at 3:00pm

क्षमा !

मैं इसे 'च पल ता' पढ़ गया,ये शायद "चप ल ता" है ।

Comment by Samar kabeer on January 7, 2019 at 2:57pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।


'मन उमंग तन चपलता'

इस पंक्ति के विषम चरण में 'चपलता'122 है,जबकि यहाँ 212 होना चाहिये, देखियेगा । 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 7, 2019 at 9:54am

नमस्कार भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ,आपके उत्साहवर्धक शब्दों ने अभिभूत कर दिया है | सादर आभार | 

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 9:15am

आद0गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। दोहों का सुंदर प्रयास किया है आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service