For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रेशमा की नजर फिर उस लड़की पर पड़ी जो कल ही यहाँ लायी गई थी. बेहद घबराई और लगातार रोती हुई वह लड़की देखने में तो किसी गरीब घर की ही लगती थी लेकिन पढ़ी लिखी भी लगती थी. उससे रहा नहीं गया तो वह उसकी तरफ बढ़ी और पास जाकर उसने पूछा "क्या नाम है रे तेरा और कहाँ से आयी है? यहाँ रोने धोने से कुछ नहीं होता, जितनी जल्दी सब मान लेगी, उतना बढ़िया. वर्ना तेरी दुर्गति ही होनी है यहां पर".
लड़की ने उसकी तरफ देखा, रेशमा की आँखों का सूनापन देखकर वह सिहर गयी. उसने रेशमा का हाथ पकड़ा और फफक पड़ी "मुझे यहाँ से बचा लो दीदी, मैं अपने घर वापस चली जाउंगी".
रेशमा ने उसकी पीठ सहलाई और समझ गयी कि यह घर से भागकर आयी है. "किसके साथ घर से भागी थी, तुम्हारे गांव का ही है या किसी रिश्तेदारी का", उसने लड़की से पूछा.
लड़की अब थोड़ी संयत हुई, अपने आंसू पोंछते हुए उसने कहा "बगल के गांव का लड़का था, साथ पढ़ाई किये थे तो उसकी बातों में आ गयी. आप मुझे बचा लो प्लीज".
रेशमा को थोड़ा गुस्सा आया, उसने लड़की को हल्का सा धक्का दिया और डपटते हुए बोली "घर से भागते समय नहीं सोचा था कि वह पिल्ला तुम्हारा प्रेमी नहीं दल्ला है. और अगर मैं तुझे निकाल सकती तो क्या खुद इस नर्क में रहती".
लड़की ने निराश नज़रों से रेशमा की तरफ देखा और धीरे से बोली "वह लड़का मेरा प्रेमी नहीं था, उसने मुझे नौकरी दिलाने का वादा किया था. गरीबी में ही मैंने अपना घर छोड़ा लेकिन ऐसे काम के बदले मैं मरना पसंद करुँगी".
रेशमा को झटका सा लगा, उसने लड़की को कसकर भींच लिया. उसकी निगाहों में अपना समय घूमने लगा जब वह भी इसी चक्कर में यहाँ फंसी थी. बेबसी में दो बून्द आंसू उसकी नज़रों से टपके और लड़की के बालों में गुम हो गए.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 16, 2019 at 2:40pm

इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ Mahendra Kumar जी

Comment by विनय कुमार on January 16, 2019 at 2:40pm

इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी

Comment by Mahendra Kumar on January 16, 2019 at 11:15am

बढ़िया लघुकथा है आदरणीय विनय कुमार जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on January 16, 2019 at 6:17am

आद0 विनय जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा कही आपने, बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by विनय कुमार on January 13, 2019 at 10:51am
इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 12, 2019 at 7:42pm

आ० आपके प्रस्तुति  का अंदाज इस कथा को विशेष धज देता है i  बहुत बधाई i 

Comment by विनय कुमार on January 10, 2019 at 1:30pm

इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 10, 2019 at 12:20pm

आज की दुनिया भरोसे के लायक नहीं है किन्तु गरीबी धोखा खा ही जाती है .अच्छी कहानी लिखी है विनय कुमार जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by विनय कुमार on January 9, 2019 at 7:17pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब तेज वीर सिंह साहब

Comment by विनय कुमार on January 9, 2019 at 7:17pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह क्या माहौल है, क्या ख़ूब चर्चा हो रही है रचनाओं पर। बहुत समय बाद ऐसा माहौल देखा ओ. बी. ओ. पर,…"
26 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. गिरिराज जी,ग़ज़ल के अशआर में कसावट कम है. कई जगह वाक्य विन्यास काम-चलाऊ है जो आपके स्तर का कतई…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. सौरभ सर जिस दीये में रौशनी होगी वही फड़फड़ाता भी दिखाई देगा ..//क्योंकि हम छिछली सोच या…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. दयाराम जी पढने पढने का फ़र्क़ है . अहिल्या का किसी छोड़ कर किसी उद्धार  कहीं से…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया रिचा जी,  आपकी प्रस्तुति का हार्दिक स्वागत है. आपके अश’आर पर जहाँ जैसी आवश्यकता…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"यही तो रचनाधर्मिता है. न कि मात्र रचनाकर्म.  आपके कहे का स्वागत है. शुभातिशुभ"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुति में जान है. परन्तु, इसका फड़फड़ाना भी दीख रहा है हमें. यह मुझे एक…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ भाई, ग़ज़ल पर चर्चा होती हैं तो सामान्यत: अरूज़ के दोष तक सीमित रह जाती हैं। मेरा मानना…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज जी, मंच पर वाद-विवाद या अन्यथा बकवाद से परे एक दूसरे के कहे पर होती सार्थक चर्चा ही…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"व्याकरण की दृष्टि से कुछ विचार प्रस्तुत हैं। अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे…"
11 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छी कहन है अजेय जी, शिल्प और मिसरो में रवानी और बेहतर हो सकती है। गिरह का शेर इस दृष्टि से…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service