२२१ २१२१ १२२१ २१२
आके तेरी निगाह की हद में मिला सुकूँ
हल्क़े को वस्ते बूद की ज़द में मिला सुकूँ //१
थी रायगाँ किसी भी मुदावे की जुस्तजू
दिल के मरज़ को दर्दे अशद में मिला सुकूँ //२
आशिक़ को अपनी जान गवाँ कर भी चैन था
जलकर अदू को पर न हसद में मिला सुकूँ //३
दामे सुख़न की अपनी हिरासत को तोड़कर
लफ़्ज़ों को ख़ामुशी की सनद में मिला सुकूँ //४
बाग़े जहाँ में जीके भी ख़ुशियाँ न थीं नसीब
इंसान को न मरके लहद में मिला सुकूँ //५
हस्ती ये जानती है बख़ूबी तहे शऊर
दिल को न आ के दामे ख़िरद में मिला सुकूँ //६
सीने को भी पता है कि औक़ाते मर्ग पे
अन्फ़ास को बक़ा-ए-अबद में मिला सुकूँ //७
नैरंगी ए नज़र में भटकता था उम्र भर
ज़ाहिद हुआ तो अपनी ही हद में मिला सुकूँ //८
ऐसा नहीं कि हुस्ने सितमगर ही ख़ुश हुआ
मुझको भी उसकी आदते बद में मिला सुकूँ //९
ख़ुश हूँ मैं 'राज़' होके फ़ना उसके प्यार में
जीकर जो मिल सका न, लहद में मिला सुकूँ //१०
~राज़ नवादवी
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
हल्क़ा- परिधि, घेरा, मंडल; वस्ते बूद- अस्तित्व का मध्य; ज़द- निशाना, गोद; रायगाँ- व्यर्थ; दर्दे अशद- तीव्र पीड़ा; अदू- दुश्मन, प्रतिद्वंदी; हसद- ईर्ष्या, डाह, जलन; दामे सुख़न- शब्दों/ ध्वनि का बंधन; लहद- कब्र; तहे शऊर- चेतना की तह/ तल में; दामे खिरद- बुद्धि का पाश/ फंदा; औक़ाते मर्ग- मृत्यु के क्षण/ समय; अन्फ़ास- साँसें; बक़ा-ए-अबद- सतत मुक्ति की अवस्था; नैरंगी ए नज़र- दृष्टि में जनित माया; ज़ाहिद- संयमी, विरक्त; लहद- कब्र
Comment
आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर.
आदरणीय भाई महेंद्र कुमार साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर.
आदरणीय अजय तिवारी साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर.
आ. भाई राजनवादवी जी, अच्छी गजल हुयी है। हार्दिक बधाई ।
बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय राज़ नवादवी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदरणीय राज़ साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.
आदरणीय रवि शुक्ला साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहेदिल से शुक्रिया. सादर.
आदरणीय राज जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं पढ़ कर अच्छा लगा दिली बधाई पेश करता हूं
आदरणीय समर कबीर साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई से मेरा लिखना कामयाब हुआ. तहेदिल से शुक्रिया. सादर.
जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online