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जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं (२७ )

(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )
जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं 
दिल में हमारे इश्क़ की अब आरजू नहीं 
**
रुसवा किये बिना किसी को हों जुदा जुदा 
गलती से प्यार को करें बे-आबरू नहीं 
**
रिश्तों की सीवनों पे ज़रा ग़ौर कीजिये 
उधड़ीं जो एक बार तो होतीं रफ़ू नहीं 
**
उस मुल्क की अवाम के बढ़ने हैं रंज-ओ-ग़म 
जिस मुल्क में मुहब्बतों की आबजू नहीं 
**
अपने वतन के वास्ते करते न जां निसार 
उनके बदन में आब है बहता लहू नहीं 
**
अवतार कोई सूरमा लेता न तब तलक 
जब तक जहाँ में पाप का भरता सुबू नहीं 
**
ढूंढे बशर ख़ुदा को जहाँ में इधर उधर 
करता मगर है ख़ुद की कभी जुस्तजू नहीं 
**
जो उठ रहे जहाँ में मसाइल बड़े बड़े 
इसका सबब है आपसी अब गुफ़्तगू नहीं 
**
करता 'तुरंत' बात सुख़न में भी साफ़ साफ़ 
हो मसअला कोई भी प खू-ए-ग़ुलू नहीं 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |
१४/०२/२०१९ 
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

सुर्ख़रू=सम्मानित ,खू-ए-ग़ुलू=*अतिश्योक्ति की आदत

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Comment

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Comment by Samar kabeer on February 17, 2019 at 11:15am

'ग़लत'12 होता है,'ग़ल्त'कोई शब्द ही नहीं,ये शायद पंजाबी उच्चारण है ।

"ग़लती" 112 इसलिए है कि 'गेन' पर और 'लाम' दोनों पर 'ज़बर' होता है,इस शब्द को लिख कर विस्तार से समझाना मुश्किल है,बोल कर बहतर तौर पर समझा सकता हूँ,आप अपना मोबाइल नम्बर दें तो इस बात को स्पष्ट आसानी से कर सकूंगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 16, 2019 at 4:34pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब | आपकी हौसला आफजाई के लिए ह्रदय तल से आभार | गलती =११२ भी हो सकता है यह तो आज ही पता चला | आम तौर पर दो लघु पास आने पर ११=२ ही होता देखा है | ग़लत =१२ और ग़ल्त =२१ भी लोगों को लेते हुए देखा है | संभव हो और समय हो तो विस्तार से समझाएं कि ग़लती =११२ लेने के पीछे क्या आधार है | 

Comment by Samar kabeer on February 16, 2019 at 2:23pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'गलती से प्यार को करें बे-आबरू नहीं'

इस मिसरे में "ग़लती" शब्द का वज़्न 112 होता है,देखियेगा ।

'उस मुल्क की अवाम के बढ़ने हैं रंज-ओ-ग़म '

इस मिसरे में तनाफ़ुर देखें,'मुल्क' को "देश"कर सकते हैं ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 14, 2019 at 2:43pm

amod shrivastav (bindouri)  जी आपकी स्नेहिल सराहना के लिए हार्दिक आभार | 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 14, 2019 at 11:01am

 आ दादा रचना की बधाई 

सभी अर्शआर अच्छे लगे ...नमन

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