For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी देखा नहीं सुनते रहे सैलाब आएगा (६० )


कभी देखा नहीं सुनते रहे सैलाब आएगा
हमारे गाँव की चौपाल तक अब आब आएगा
**
खिलौना जानकर कुछ लोग उसको तोड़ डालेंगे
अगर तालाब की तह में उतर महताब आएगा
**
हमेशा ख़्वाब देखें और मेहनत भी करेंगे तो
हक़ीक़त में उतर कर एक दिन वो ख़्वाब आएगा
**
नहीं था इल्म हमको ये कि जिस फ़रज़न्द को पाला
वही बेआब करने सूरत-ए-कस्साब आएगा
**
ग़रीबी से दिलाएगा  निज़ात अब कौन और कैसे
अमीरी का रियाया को कभी क्या ख़्वाब आएगा 
**
सफ़र जारी रखो  पैहम  अगर हैं आप तिश्नालब 
कि ख़ुद  चलकर नहीं कोई कभी   तालाब आएगा 

**
हमें उम्मीद बिलकुल भी न थी जो दूर रहता है
उसी पर एक दिन नादाँ दिल-ए-बेताब आएगा
**
ख़यालों से परे था ये कि उलफ़त में कोई मजनूँ
छिड़कने को जबीं पर ले कभी तेज़ाब आएगा
**
'तुरंत' इतने ग़मों के ज़ीस्त में हम हो गए आदी
अगर फिर आया ग़म तो बस ग़म-ए-नायाब आएगा
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |
०२/०९/२०१९
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 7, 2019 at 12:16pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'मुबाइल से हुए रिश्ते मुतासिर आज हैं इतने 
कि रहते मुंतज़िर हैं हम कोई अहबाब आएगा'

इस शैर के ऊला में 'सहीह शब्द है "मुतास्सिर",और सानी में "अहबाब" शब्द 'हबीब' का बहुवचन है,देखियेगा ।

'ग़रीबी से दिलाएँगे निज़ात अब कौन और कैसे 
क़फ़स में कब तलक देखें हसीँ सुरख़ाब आएगा'

इस शैर के ऊला में 'दिलाएँगे' की जगह "दिलाएगा" शब्द उचित होगा,और सानी में बात तार्किकता के विरुद्ध है,'सुरख़ाब' पानी का परिन्दा है,ग़ौर करें ।

'मुक़द्दर में कोई चश्म-ए-सितारा-याब आएगा'
इस शैैैर में 'चश्म-ए-सितारा-याब' 

की तरकीब ठीक नहीं लगती ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 5, 2019 at 9:09pm

भाई Sushil Sarna जी , आपकी हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया | अहसासों को कागज़ पर उतारने के मामले में आप सिद्धहस्त हैं ,तभी अहसास समझ सकते हैं | चंद गिनती के लोग हैं जो गद्य में पद्य सा आनंद प्रदान करते हैं ,आप उनमें से एक हैं ,वरना अधिकतर लोग तो अतुकांत में घास ही काटते हैं | सादर नमन | 

Comment by Sushil Sarna on September 5, 2019 at 4:47pm

कभी देखा नहीं सुनते रहे सैलाब आएगा
हमारे गाँव की चौपाल तक अब आब आएगा
**
खिलौना जानकर कुछ लोग उसको तोड़ डालेंगे
अगर तालाब की तह में उतर महताब आएगा

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी ऐसे खूबसूरत अहसासों को आप कैसे लफ़्ज़ों में उत्तर लेते हैं , ये आप ही के बस की बात है। शेर दर शेर दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।
सोचते ही रहे कि हम भी सागर बनेंगे इक दिन
लफ्ज़ किनारों पर ही मगर डर के रह गए
जूनून कम न था अहसासों का दिल में लेकिन
दर्द दिल के हम उफ़नती लहरों से कह गए
सरना

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 5, 2019 at 4:16pm

आदरणीय प्रदीप देवीशरण भट्ट  स्नेहिल सराहना से उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय तल से आभार एवं नमन 

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 5, 2019 at 3:53pm

गिरधारी जी शानदार गज़ल्म बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service