For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखा इतना दर्द दिलों का इस बेदर्द ज़माने में(६४)

देखा इतना दर्द दिलों का इस बेदर्द ज़माने में
बस थोड़ा सा वक़्त बचा है सैलाबों को आने में
**
अपनापन का जज़्बा खोया और मरासिम भी टूटे
कंजूसी करते हैं सारे थोड़ा प्यार दिखाने में
**
उनकी फ़ितरत कैसी होगी ये अंदाज़ा मुश्किल है
जिनको खूब मज़ा आता है गहरी चोट लगाने में
**
वादा पूरा करना अपना इस सावन में आने का
वरना दिलबर क्या रक्खा है सावन आने जाने में
**
बात दिलों की कहना सुनना सच में प्यार यही तो है
लेकिन सदियाँ लग जाती हैं लोगों को समझाने में
**
मान -मनोवल ताने तंज़-ओ-तीर अना सब ज़ायज है
थोड़ा सब्र ज़रूरी होता यार मुहब्बत पाने में
**
जाना समझा बूझा परखा तब जाकर ये प्यार किया
फिर भी अब कहता है ज़ालिम-'भूल हुई अनजाने में '
**
जिसने आँखों की मय पी ली एक दफ़ा जी भर यारों
उसको क्या दिलचस्पी रहनी है मय में पैमाने में
**
लोगों के अफ़साने सुनना अच्छा होता है लेकिन
यार 'तुरंत' मज़ा तब है जब तू भी हो अफ़साने में
**
--गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी

(मौलिक एवं प्रकाशित )

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 25, 2019 at 4:20pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी , सादर आभार एवं नमन 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 25, 2019 at 4:20pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब आपकी हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत आभार एवं सादर नमन 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2019 at 10:10am

उनकी फ़ितरत कैसी होगी ये अंदाज़ा मुश्किल है
जिनको खूब मज़ा आता है गहरी चोट लगाने में।
बहुत खूब , बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी , बधाई , सादर।

Comment by Samar kabeer on September 25, 2019 at 8:09am

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 23, 2019 at 4:53pm

आदरणीय  बसंत कुमार शर्मा जी रचना की सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 23, 2019 at 9:51am
आदरणीय गिरधारी लाल जी को सादर नमस्कार, वाह आनन्द आ गया लाजबाब ग़ज़ल हुई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service