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नन्हा सा, अल्हड़ सा, वो प्यारा बचपन,

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे

जब संग सबके हम खेला करते थे

दुखी होते थे एक खिलौने के टूटने पर

और छोटी सी ज़िद्द पूरी होने पर,खुश हो जाया करते थे

हँसता, खिलखिलता वो निराला बचपन

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

वो बारिश के मौसम का भीगना याद आता है

वो सर्दी में एक रज़ाई मे लिपटना याद आता है

ज़रा सी बात पर रूठना एकदुसरे से और,

पलभर मे खुद ही मान जाना याद आता हैं

अटूट से बंधन जोड़ता, वो सयाना बचपन

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

हर नज़र अजनबी है आज,हर रिश्ता है बेमानी,

फूँक फूँक कर रखना है कदम,ये राहे है अंजानी

भूल हो जाने पेर जो माफ़ किया करते थे,

सर पेर रखकर हाथ जो हौसले दिया करते थे!

वो संग नहीं है अपने अब,खो गया है वो बचपन

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

कल की फिक्र मे उम्र गुजारते जा रहे है,

अधूरे सपनो को पाने मे कहीं खोते जा रहे है,

आगे बढने की होड़ मे मासूम मन को कुचलते हुए

खुद को भूलकर बस बड़े होते जा रहे हैं

कभी आवाज़ आती है अंतर्मन से

काश लौट आए एक बार फिर वही हमारा बचपन

नन्हा सा, अल्हड़ सा, वो प्यारा बचपन,

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

नन्हा सा, अल्हड़ सा, वो प्यारा बचपन,

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Comment by Tapan Dubey on July 9, 2011 at 1:06pm
waah wah bahut badiyaaa..
Comment by आशीष यादव on July 5, 2011 at 6:40pm
Abhi kuchh samay to hue hai jb hm bhi jid karte the. Kaha gya wo pyara bachpan, kaha gya hmara bachpan.
Bachpan ki yaad dilane wali ek sundar rachna hetu badhai swikar karen.
Comment by Vasudha Nigam on July 5, 2011 at 12:54pm

धन्यवाद

 

Comment by Veerendra Jain on July 5, 2011 at 12:45pm
bahut hi sunder..bahut bahut badhai Vasudha ji...
Comment by Basant Shrestha on July 3, 2011 at 5:56pm
Wonderful poem.
Comment by Vasudha Nigam on July 1, 2011 at 9:28am
आभार आप सभी का..
Comment by विवेक मिश्र on July 1, 2011 at 6:53am
काश कि बचपन लौट पाता.. प्रभावशाली कविता हेतु बधाई.
Comment by PRAVIN KUMAR DUBEY on June 30, 2011 at 7:35pm
Yad aaya bachpan.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 30, 2011 at 4:35pm

बचपन की मधुर स्मृतियाँ तथा वर्त्तमान वयस्क-जीवन के ऊहापोह पर आहें.

इस अच्छे और संवेदनशील प्रयास पर मेरी शुभकामनाएँ.

Comment by Rash Bihari Ravi on June 30, 2011 at 1:35pm
khubsurat lajabab manmohak

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