नियति का आशीर्वाद
हमारे बीच
यह चुप्पी की हलकी-सी दूरी
जानती हो इक दिन यह हलकी न रहेगी
परत पर परत यह ठोस बनी
धातु बन जाएगी
तो क्या नाम देंगे हम उस धातु को ?
बहुत देर न हो जाएगी तब तक ?
रात के संग सिसकारी भरती
तुम रात-अँधेरे देर तक, प्रिय
कुहनी टेके उदास न हो, बेचैन न रहो
मन में महकता आत्म-विश्वास रखो
याद रहे कि नियति की स्नेह-दृष्टि इक दिन
आसमानी फ़ासलों से उतर कर
अवश्य देगी आशीर्वाद तुमको
मौन थे जो मिट्टी के ढेले-से
अरमान किसी गुमनाम गड्ढे में
अब तक थे पड़े कहीं अतल में
सुनो नियति की है यह भविष्यवाणी
प्रेरणा से ध्वनित नि:संदेह खुलेंगे
सौन्दर्यमय मनोहर
हृदय-व्योम में रत्न-विवर तुम्हारे
स्पष्ट होंगे तब अचानक
भूले बिसरे कितने कल्पना-स्वप्न
तिमिर कगारों पर होंगी
लहराती उजली रेखाएँ
भविष्य-धारा में सम्भावनाएँ
और उद्घाटित होंगे
ज़िन्दगी जीने के दिशा-नयन नए
जानती हो ?
तुम्हारी आँखों को हँसते देख उस समय
कितना सुविकसित होगा मुसकाता मन मेरा
----------
-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर कबीर जी
प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र लक्ष्मण जी
आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन। उत्तम रचना हुई है , हार्दिक बधाई ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online