For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ.बी.ओ.की 9 वी सालगिरह का तुहफ़ा

है उजागर ये हक़ीक़त ओ बी ओ

मुझको है तुझसे महब्बत ओ बी ओ

तेरे आयोजन सभी हैं बेमिसाल

तू अदब की एक जन्नत ओ बी ओ

कहते हैं अक्सर ,ये भाई योगराज

तू है इक छोटा सा भारत ओ बी ओ

सीखने वाले यही कहते सदा

तू करे बे लौस ख़िदमत ओ बी ओ

सबके दिल में बन गया है घर तेरा

सबके दिल में तेरी चाहत ओ बी ओ

मैं हूँ दीवाना तेरा सब जानते

तू मेरे दिल की है राहत ओ बी ओ

जुड़ गया है जो भी दामन से तेरे

दिल से करता है वो इज़्ज़त ओ बी ओ

चाहने वाले हज़ारों हैं तेरे

है ये तेरी क़द्र-ओ-क़ीमत ओ बी ओ

दिल से निकली है "समर" के ये दुआ

तू रहे सदियों सलामत ओ बी ओ

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1834

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 3, 2019 at 10:25am

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 3, 2019 at 10:24am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।

Comment by Samar kabeer on April 3, 2019 at 10:22am

जनाब बासुदेव अग्रवाल जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका धन्यवाद ।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on April 3, 2019 at 10:09am

क्या कहने जनाब

Comment by विनय कुमार on April 2, 2019 at 5:50pm

बहुत बेहतरीन लिखा हैं आपने ओ बी ओ के बारे में, बहुत बहुत बधाई क़ुबूल कीजिये आ मुहतरम समर कबीर साहब

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2019 at 5:09pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब  , ओ बी ओ की 9वीं वर्ष गांठ पर उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

Comment by Md. Anis arman on April 1, 2019 at 11:03pm

बहुत ख़ूब सर बेहतरीन आप से बढ़ के obo का आशिक़ कोई नहीं |

तू रहे हरदम सलामत ऐ समर 

मांगती  है बस ये मन्नत ओ बी ओ |

Comment by Hariom Shrivastava on April 1, 2019 at 6:06pm

वाह,वाहहह और वाहहहहह। ओबीओ की नौवीं वर्षगाँठ पर ओबीओ की विशेषताएँ व महत्त्व बताती शानदार व कमाल की ग़ज़ल। दिली मुबारक आदरणीय समृ कबीर साहब।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 1, 2019 at 5:05pm

आदाब। सभी परिवारजन/सदस्यगण के दिल की बात पिरोती ग़ज़ल हेतु बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार।

ओपनबुक्सओनलाइनडॉटकॉम-साहित्य-पत्रिका-वेबसाइट-परिवारजन को नौवीं वर्षगांठ पर हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 1, 2019 at 12:40pm

वाह आ0 समर साहिब ओ बी ओ के नवम वार्षिक दिवस के उपलक्ष्य में सुंदर भेंट।

तू रहे आबाद सालों साल तक,

तू ही है सबकी अमानत ओ बी ओ।

तू

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
15 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service